पाकिस्तान जबसे आजाद हुआ है तबसे ही वहां हिंदुओं की संख्या कम हो रही है अब एसे में सवाल उठ रहा है कि आखिर वो हिंदू गए कहां दरअसल वो हिंदू कहीं गए नहीं बल्कि उन्होंने अपना धर्म बदल लिया है। पाकिस्तान में जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है। इनमें सबसे ज्यादा महिलाएं है। हालात कुछ यूं है कि आए दिन खबरें 14 से 16 साल की लड़कियों का जबरन धर्मांतरण किया जा रहा है पाकिस्ताना में अधेड़ उम्र के मुस्लिम युवक से शादी के लिए जबरन मजबूर किया जाता है।
1947 में हिंदुओं की कुल आबादी 20.05 पर्सेंट थी
एक रिपोर्ट के मुताबिक ये बात सामने आई है कि पाकिस्तान में कई हिंदुओं ने आजादी के बाद से अब तक इस्लाम को कुबूल कर लिया है। कुछ ने सामाजिक दबाव में आकर धर्म बदला तो कुछ लोगों को जबरन ऐसा करने पर मजबूर किया गया। एक आंकड़ो से ये सारी बात साफ हो जाती है। आंकड़े बताते है कि आजादी के वक्त यानी 1947 में पाकिस्तान में हिंदुओं की कुल आबादी 20.05 पर्सेंट थी… जो 1988 आते आते 1.6 पर्सेंट पर पहुंच गई। ये आंकड़े पाकिस्तान के 1998 की जनगणना के हैं।
2017 में हिंदुओं की संख्या 2.14 प्रतिशत बची
वहीं 2017 में जो जनणना हुई उसके मुताबिक पाकिस्तान में हिंदुओं की आबादी लगभग 45 लाख थी। यानि पाकिस्तान की कुल जनसंख्या का 2.14 प्रतिशत। जबकि मुस्लिमों की आबादी पाकिस्तान में 96.47 प्रतिशत है। हिंदुओं की जनसंख्या की तुलना अगर आजादी के समय से हम करें तो ये बेहद कम है। विशेषज्ञ ऐसा मानते हैं कि इनकी जनसंख्या में आई कमी के पीछे एक बड़ा कारण धर्मांतरण है।
धर्मांतरण के पीछे नूर अहमद तशर का नाम सामने आया
वैसे तो पाकिस्तान में हिंदुओं के धर्मांतरण की बात बेहद आम है। साल 2020 में पाकिस्तान की एक एक्टिविस्ट ने क्लेम किया था कि वहां के सिंध प्रांत में एक दिन में ही 171 लोगों को इस्लाम कुबूल कराया गया। इसमें हिंदू महिलाएं बच्चियां और मर्द शामिल थे।एक्टिविस्ट का कहना था कि इस बड़े धर्मांतरण के पीछे कट्टरपंथी नूर अहमद तशर का हाथ था।
हर साल लगभग 1000 लड़कियों का होता है धर्मांतरण
वहीं मई 2023 में एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में एक साथ 50 लोगों ने हिंदू धर्म को छोड़कर इस्लाम कुबूल कर लिया इसमें कुल 10 परिवार शामिल थे। इन आंकड़ो से तो आप समझ ही गए होंगे की पाकिस्तान में लगातार हिंदुओं की संख्या कम क्यो हो रही है। ह्यूमन राइट कमीशन पाकिस्तान की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में हर साल लगभग 1000 लड़कियों का धर्मांतरण जबरन कराया जाता है। इनमें ज्यादातर बच्चियों की उम्र 14 से 20 साल के बीच होती है। जिन्हें डरा धमका कर धर्म बदलने पर मजबूर किया जाता है ।