लेबनान संकट पर UN के दूत ने जताई चिंता, कहा यह असफल देश है जिसने अपने लोगों के लिए कुछ नहीं किया - Punjab Kesari
Girl in a jacket

लेबनान संकट पर UN के दूत ने जताई चिंता, कहा यह असफल देश है जिसने अपने लोगों के लिए कुछ नहीं किया

लेबनान देश में चल रहे संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ‘ओलिवियर डी शूट’र ने चिंता

लेबनान देश में चल रहे संकट को लेकर संयुक्त राष्ट्र के एक विशेषज्ञ ‘ओलिवियर डी शूटर’ ने चिंता जताई है। उन्होंने कहा, लेबनान एक असफल देश है, उसने अपने लोगों को संकट से निकालने के लिए कुछ नहीं किया है। इस कारण देश में लोग गरीबी से जूझ रहे हैं। ओलिवियर’ ने लेबनान की 12-दिवसीय यात्रा के अंत में यह चिंता जताई। उन्होंने ‘एसोसिएटेड प्रेस’ के साथ साक्षात्कार में उन्होंने कहा कि, यह महत्वपूर्ण है कि लेबनानी राजनेताओं को एहसास हो कि वे विदेशी सहायता और मानवीय सहायता पर अनिश्चित काल तक भरोसा नहीं कर सकते। डी शूटर ने कहा कि, सरकार को 60 लाख की आबादी वाले इस देश में गरीबों की रक्षा में मदद के लिए कदम उठाने में अब भी देर नहीं हुई है। इनमें 10 लाख सीरियाई शरणार्थी भी शामिल हैं।
150 वर्षों में सबसे खराब सकंट से जूझ रहा है लेबनान
लेबनान में चल रहे आर्थिक संकट को 150 वर्षों में दुनिया में सबसे खराब संकट में से एक के रूप में वर्णित किया गया है। इस देश की आधी से अधिक आबादी गरीबी में डुब गई है, राष्ट्रीय मुद्रा लगातार कमजोर हुई है और मुद्रास्फीति तथा बेरोजगारी बढ़तीजा रही है। ‘डी शूटर’ ने आगामी पीढ़ी की बर्बादी की ओर इशारा करते हुए कहा कि डॉक्टरों, नर्सों और शिक्षकों ने देश छोड़ दिया है, गंभीर ईंधन संकट के बीच स्कूल फिर से खोलने के लिए संघर्ष की स्थिति बनी हुई है और सबसे गरीब परिवार के लोग अपनी बेटियों की जल्दी शादी करने या अपने बच्चों को मंदी से निपटने के लिए काम पर भेजने के लिए मजबूर हैं। हाल ही में एक खबर के मुताबिक लेबनान की हालत काफी खराब है, वहां की सेना कंगाली की कगार पर पहुंच चुकी है।
सितंबर में बनी थी सरकार
लेबनान में राजनीतिक संकट के कारण करीब एक वर्ष से अधिक समय तक कोई सरकार नहीं थी, जिसके बाद सितंबर में प्रधानमंत्री ‘नजीब मिकाती’ के मंत्रिमंडल का गठन किया गया था। लेकिन असहमतियों ने एक बार फिर सरकार को पंगु बना दिया है और हफ्तों से कैबिनेट की बैठक नहीं हो पाई है। ओलिवियर का मिशन पूर्व में मध्यम आय वाले इस देश के तेजी से गरीबी की गर्त में जाने की वजह तलाशने के लिए सरकार की योजनाओं का आकलन करना था। उन्होंने कहा कि, सरकार के पास गंवाने के लिए वक्त नहीं है। उन्होंने कहा, अक्सर मुझे जो जवाब मिलते थे, वे लेबनान की आबादी को मानवीय सहायता, अंतरराष्ट्रीय दाताओं से सहयोग की आवश्यकता के संदर्भ में होते थे।
निराश्रितों की रक्षा के लिए होनी चाहिए एक राष्ट्रीय योजना
विशेषज्ञ ओलिवियर ने कहा कि विश्व बैंक जैसे अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थानों से वित्त पोषण पर निर्भर सामाजिक सुरक्षा वर्तमान में आबादी का केवल दसवां हिस्सा कवर करती है। उन्होंने कहा कि देश के निराश्रितों की रक्षा के लिए एक राष्ट्रीय योजना होनी चाहिए, जो विदेशी सहायता पर निर्भर न हो। उन्होंने कहा कि, वह संयुक्त राष्ट्र को सुधारों पर सहायता की शर्त, सामाजिक सुरक्षा का विस्तार करने और सार्वजनिक वित्त का बेहतर उपयोग करने की सलाह देंगे। डी शूटर ने कहा, अगर इन सुधारों को लागू नहीं किया जाता है तो मानवीय सहायता में पैसा लगाने का कोई मतलब नहीं है।सरकार ने कहा है कि, एक सुधार योजना के लिए वह अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष के साथ बातचीत को प्राथमिकता दे रही है, लेकिन लेबनान की सरकार एक बार फिर आंतरिक लड़ाई में घिरी है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *


Girl in a jacket
पंजाब केसरी एक हिंदी भाषा का समाचार पत्र है जो भारत में पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और दिल्ली के कई केंद्रों से प्रकाशित होता है।