तालिबान हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रद्द की अशरफ गनी के साथ गोपनीय वार्ता - Punjab Kesari
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तालिबान हमले के बाद डोनाल्ड ट्रंप ने रद्द की अशरफ गनी के साथ गोपनीय वार्ता

मसौदे के अनुसार इस पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से 5,000 अमेरिकी सैनिक वापस बुलाने वाला था।<br

अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने तालिबान और अफगानिस्तान के अपने समकक्ष अशरफ गनी के साथ इस सप्ताहांत पर होने वाली गोपनीय वार्ता रद्द करने की घोषणा की है और आतंकवादी समूह से शांति वार्ता पूरी तरह से बंद कर दी है। समाचार एजेंसी एफे के अनुसार, तालिबान द्वारा गुरुवार को काबुल में किए गए आत्मघाती हमले में एक अमेरिकी सैनिक समेत 12 लोगों के मारे जाने के बाद वार्ता रद्द की गई। 
ट्रंप ने शनिवार को ट्वीट किया, ‘लगभग सभी की गैर-जानकारी में तालिबान के प्रमुख नेता और अलग से अफगानिस्तान के राष्ट्रपति रविवार को कैंप डेविड में मुझसे वार्ता करने वाले थे।’ ट्रंप ने कहा, ‘बदकिस्मती से, गलत लाभ लेने के लिए उन्होंने काबुल में हमला करने की बात स्वीकार की, जिसमें हमारे एक महान सैनिक और 11 अन्य लोगों की मौत हो गई। मैंने तुरंत बैठक रद्द कर दी और शांति वार्ता खत्म कर दी।’ 

उन्होंने कहा, ‘अगर वे इन बहुत महत्वपूर्ण वार्ताओं के दौरान संघर्ष विराम के लिए सहमत नहीं हो सकते और 12 निर्दोष लोगों की हत्या करेंगे, तो शायद उनमें एक सार्थक समझौता करने की क्षमता नहीं है। वे और कितने दशकों तक लड़ना चाहते हैं?’ यह अप्रत्याशित घोषणा वॉशिंगटन और तालिबान के लगभग एक साल की वार्ता के बाद दो सितंबर को एक मसौदा समझौते पर सहमत होने के बाद की गई है। 

मसौदे के अनुसार इस पर हस्ताक्षर के बाद अमेरिका अफगानिस्तान से 5,000 अमेरिकी सैनिक वापस बुलाने वाला था। तालिबान ने जोर देकर कहा है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी दोहा में अब तक हुई नौ-चरणीय वार्ता के दौरान समझौते पर पहुंचने के लिए एक बुनियादी मुद्दा था। तालिबान ने वॉशिंगटन से समझौते की औपचारिकताएं होने तक अफगान सरकार से मिलने से इंकार कर दिया है। 
अफगानिस्तान में जारी युद्ध सबसे लंबा संघर्ष है, जिसमें अमेरिका भी सक्रिय है। यहां अमेरिकी सैनिक 18 सालों से हैं। अफगानिस्तान में 2001 में युद्ध शुरू होने के बाद से अब तक 2,300 से ज्यादा अमेरिकी सैनिकों समेत अंतर्राष्ट्रीय गठबंधन के लगभग 3,500 सदस्यों की मौत हो चुकी है। अफगान नागरिकों, आतंकवादियों और सरकारी बलों के मृतकों के आंकड़ों का अंदाजा लगाना और मुश्किल है। संयुक्त राष्ट्र ने अपनी फरवरी 2019 की रिपोर्ट में कहा था कि 32,000 नागरिकों की मौत हो चुकी है। 

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