तुर्किए और सीरिया में आए भूकंप से अब तक 15 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है चारों तरफ तबाही का मंजर है। मरने वालों में 12 हजार लोग तुर्की के रहने वाले है। अभी भी यहां हजारों लाशे मलबे के नीचे दबी हुई है।
चारों तरफ चीखपुकार मची हुई है। हालात कुछ एसे हो चुके हैं कि यहां कब्रिस्तान भरने लगे हैं यहां शवों को दफनाने के लिए जगह खत्म हो रही है। इसलिए यहां कब्रिस्तान में एक साथ 10 शवों को ताबूतों में रखा जा रहा है। इससे साफ है कि वहां क्या मंजर होगा। जल्दबाजी में यहां लाशों को दफनाने का काम किया जा रहा है। क्योंकि लाइन में लगे कई और लोग भी अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं। 
येसिलकेंट कब्रिस्तान में लगी लंबी लाइने
इन दिनों येसिलकेंट कब्रिस्तान शोक में डूबे मृतकों के रिश्तेदारों से भरा हुआ है। मौत के बाद भी लोगों को अंतिम संस्कार नसीब नहीं हो रहा है। जिसको देखते हुए फातमा साहिन ने मुस्लिम प्रचारकों से अधिक संख्या में आगे आकर कब्रिस्तानों में अंतिम संस्कार में मदद करने की अपील की है। यसिलकेंट में भी सैकड़ों लोगों की भीड़ लगी थीय़ यहां सड़के पुल और इमारते सब मलबे में तब्दील हो चुकी है। इस मलबे में अभी भी कई लाशे दबी हुई है जिनको निकालने का काम किया जा रहा है। 
ड्रिल से खोदकर लाशों को निकाला जा रहा है
एसे में तुक्री सीरिया के सामने सबसे बड़ा चुनौती है कि आखिर वो इतने सारे लोगों का अंतिम सरकार कैसे करेंगे। दूसरी तरफ रेस्क्यू टीम कड़ाके की ठंड और बारिश के बीच बचाव अभियान में जुटी हुई है। गिरी हुई इमारत के मलबे में ड्रिल कर खोदा जा रहा है ताकि लोगों को निकाला जा सके। इस बीच बताया जा रहा है कि बचे हुए लोगों के मिलने की संभावना कम हो गई है।
लापता पड़ी हैं लाशे
मलबे से ज्यादातर लाशें निकाली जा रही हैं। शवों को मलबे से निकालकर सड़कों पर रख दिया जा रहा है। कई लाश एसी हैं। जिनकी पहचान नहीं हो पाई है या जिनके परिवार से अब कोई नहीं बचा है। तुर्की और सीरिया में आए इस भयानक संकट के बीच भारत भी मदद के लिए आगे आया है भारत ने वहां एनडीआरएफ की टीम को भेज दिया है ताकि किसी तरह वहां लोगों को मदद मिल सके उनकी जिंदगी को बचाया जा सके।