लगता है इमरान खान के हुक्मरान बनते ही पाकिस्तान में नया दौर शुरू हो गया है। जहां एक तरफ अमेरिका के गले में गलबईयां डालने वाले पाकिस्तान ने अमेरीका के सामने सख्त रूख अपनाया है वहीं दूसरी ओर न्यायमूर्ति ताहिरा सफदर ने पाकिस्तानी इतिहास में पहली बार हाईकोर्ट में महिला मुख्य न्यायाधीश बनने का गौरव हासिल किया है।
न्यायमूर्ति ताहिरा सफदर ने शनिवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान उच्च न्यायालय में पहली महिला मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ले ली है। वह पाकिस्तान के मशहूर वकील सैयद इम्तियाज हुसैन हनाफी की बेटी हैं। डॉन समाचार की खबर के मुताबिक, ताहिरा देश की पहली महिला हैं जिन्होंने पाकिस्तान के किसी भी उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली है। उन्होंने बलूचिस्तान के राज्यपाल भवन में आयोजित एक समारोह में शपथ ली। समारोह के दौरान वरिष्ठ न्यायाधीश और वकील मौजूद थे।
ताहिरा का जन्म 5 अक्टूबर 1957 को क्वेटा, पाकिस्तान में हुआ था। सफदर ने 1982 में उस वक्त इतिहास रचा था, जब वह बलूचिस्तान में पहली महिला सिविल न्यायाधीश बनी थीं। वह फिलहाल तीन सदस्यीय विशेष अदालत की सदस्य हैं, जो पूर्व राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ के मामले की सुनवाई कर रही है। मुशर्रफ पर तीन नवंबर 2007 को आपातकाल लगाने के मामले में देशद्रोह का आरोप है।
ताहिरा ने बलूचिस्तान विश्वविद्यालय से उर्दू साहित्य में मास्टर की डिग्री हासिल की और साथ ही 1980 में क्वेटा के यूनिवर्सिटी लॉ कॉलेज से कानून की डिग्री प्राप्त की है।
आपको बता दें कि भारत में किसी हाईकोर्ट को पहली महिला चीफ जस्टिस 1991 में मिली थीं। 5 अगस्त 1991 को लीला सेठ दिल्ली हाई कोर्ट की चीफ जस्टिस बनी थीं।