इदलिब में सीरिया के सरकारी बलों की गोलाबारी में 8 लोगों की मौत, मृतकों में अधिकांश बच्चे - Punjab Kesari
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इदलिब में सीरिया के सरकारी बलों की गोलाबारी में 8 लोगों की मौत, मृतकों में अधिकांश बच्चे

सीरिया के अंतिम विद्रोही ठिकाने में सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्र से शनिवार को की गई गोलाबारी में

सीरिया के अंतिम विद्रोही ठिकाने में सरकार के नियंत्रण वाले क्षेत्र से शनिवार को की गई गोलाबारी में कम से कम आठ लोगों की मौत हो गई। सीरिया में गृह युद्ध पर नजर रखने वाली संस्था ने बताया कि मरने वालों में अधिकतर बच्चे शामिल हैं।
संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) के क्षेत्रीय निदेशक टेड चायबन ने इसे पिछले साल मार्च में संघर्षविराम के बाद से अब तक की सबसे भीषण हिंसा करार दिया है।
टेड ने कहा, ‘‘यह बेहद दुखद है। हिंसा के बढ़ने से बच्चों की जिंदगी के लिए खतरा पैदा होगा। हम सभी पक्षों से बच्चों की सुरक्षा का आह्वान करते हैं और उनसे आग्रह करते हैं कि आगे भविष्य में इस तरह के हमले नहीं हों।’’
बचाव सेवा ‘व्हाइट हेलमेट्स’ और इदलिब के स्वास्थ्य निदेशालय के मुताबिक दक्षिणी प्रांत इदलिब के गांव इबलिन पर दागे गए गोले सुभी अल-अस्सी के घर पर गिरे जिसमें उनकी, उनकी पत्नी और उनके तीन बच्चों की मौत हो गई। जिस समय यह गोलाबारी हुई, परिवार के सभी सदस्य सोए हुए थे। अल-अस्सी स्थानीय स्वास्थ्य केंद्र में एक प्रशासक थे।
गोलाबारी में व्हाइट हेलमेट्स जिसे सीरिया सिविल डिफेंस के तौर पर भी जाना जाता है, के एक स्वयंसेवी का घर भी प्रभावित हुआ जिसमें उनके दो बच्चों की मौत हो गई। स्वयंसेवी, उमर अल उमर और उनकी पत्नी इस हमले में घायल हो गईं।
व्हाइट हेलमेट्स के मुताबिक पास के एक गांव में एक और बच्चे की मौत हुई तथा परिवार के चार अन्य सदस्य घायल हो गए।
ब्रिटेन आधारित सीरियन ऑब्जर्वेटरी फॉर ह्यूमन राइट्स ने भी गोलाबारी और हताहतों की जानकारी दी।
इलाके में सरकारी बलों और विद्रोहियों के आखिरी गढ़ इदलिब में चरमपंथियों के बीच हाल के हफ्तों में हिंसा बढ़ी है जबकि पिछले साल संघर्षविराम पर सहमति बनी थी।
यह संघर्षविराम समझौता सीरिया के विपक्ष का समर्थन करने वाले तुर्की और सीरिया सरकार के मुख्य समर्थक रूस के बीच हुआ था।
यूनिसेफ के मुताबिक सीरिया में पिछले वर्ष हुई हिंसा में 512 बच्चों की मौत हो गयी थी। सीरिया के हिंसाग्रस्त उत्तर-पश्चिमी इलाके में करीब 17 लाख बच्चे रहते हैं, जिनमें से अधिकतर बच्चों को हिंसा के कारण अपना घर छोड़ने पर मजबूर होना पड़ा है।

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