मानव जाति के लिए प्रकृति अपने आप में ही एक बेशकीमती और नायब तोहफा है, नेचर में ऐसी बहुत सी घटनाएं और दृश्य है जो बहुत ही अद्भुत और आकर्षक होते हैं। इन्ही मनमोहक दृश्यों में से एक ‘स्ट्रॉबेरी मून’ है। दुनियाभर में 14 जून यानी कल ‘स्ट्रॉबेरी मून’ (Strawberry Moon) का अद्भुत नजारा देखने को मिला था।
बाकी दिनों के मुकाबले ज्यादा बड़ा दीखता है चांद
इस दिन चांद पृथ्वी के चारों तरफ अपने ऑर्बिट में सबसे नजदीक होता है, इसलिए चांद इस दिन बाकी दिनों के मुकाबले थोड़ा बड़ा दिखाई देता है। बता दें कि आकर में रोज से ज्यादा बड़ा दिखने के कारन इस चांद को ‘सुपरमून’ कहा जाता है, इस डिंब चांद पृथ्वी के निवासियों को बड़ा और चमकीला दिखाई देता है।
जानिए क्या है स्ट्रॉबेरी मून?
वैसे स्ट्रॉबेरी मून स्ट्रॉबेरी की तरह नहीं दिखता है! एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (NASA) के अनुसार, स्ट्रॉबेरी मून, वसंत की आखिरी पूर्णिमा या गर्मियों की पहली पूर्णिमा पर होता है। यह साल का वह समय है जब उत्तरी अमेरिका में बेरी या जामुन पकते हैं, इसलिए इसका नाम स्ट्रॉबेरी मून रखा गया। नासा की कुछ रिपोर्टों से पता चलता है कि ‘स्ट्राबेरी मून’ को मीड मून या हनीमून के रूप में भी जाना जाता है। यह तीन ग्रीष्मकालीन सुपरमून में से पहला था।
पूर्णिमा और भारत के बीच क्या है कनेक्शन?
जून में पूर्णिमा को भारत (India) में हिंदू त्योहार वट पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है। सावित्री और सत्यवान की कथा के अनुसार, एक धर्मनिष्ठ पत्नी ने यमराज से अपने पति का जीवन वापस ले आई थी। इसलिए वट पूर्णिमा के दिन सावित्री की पूजा की जाती है। इस दिन सुहागिन महिलाएं व्रत रखती हैं और अपने पति की लंबी उम्र की कामना करती हैं।
लोगों ने अपनी आंखों में कैद की यह अद्भुत घटना
नासा के मुताबिक एक सुपरमून साल के सबसे कमजोर चंद्रमा की तुलना में 17 फीसदी बड़ा और 30 फीसदी चमकीला दिखाई देता है। फिलहाल पूरी दुनिया में 14 जून को सभी लोगों ने इस अद्भुत नजारे को अपनी आंखो और कैमरा दोनों में कैद कर लिया है। कई लोगों ने इस अद्भुत खगोलीय घटना को सोशल मीडिया पर भी शेयर किया।