चुनाव में नोक- झोक से लेकर खूनी जंग तक सब कुछ देखने को मिलता है और जब बात हो पाकिस्तान तो कहना ही क्या। जहा पूर्व प्रधानमंत्री को सही से सुरक्षा भी नहीं मिलती वहा छोटे चुनावो में क्या ही उम्मीद रख सकते है। डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, पीपीपी के मुर्तजा वहाब के कराची मेयर का चुनाव जीतने की रिपोर्ट आने के तुरंत बाद जमात-ए-इस्लामी (जेआई) और पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी (पीपीपी) के बीच झड़पें शुरू हो गईं।
नतीजे आते है पक्ष – विपक्ष समर्थको में झड़प
वहाब ने 173 मत प्राप्त करके महापौर का चुनाव जीता, जेआई के नईमूर रहमान को हराया, हालांकि, आधिकारिक परिणाम डॉन के अनुसार प्रतीक्षित हैं। डॉन की खबर के मुताबिक, झड़प शहर की पाकिस्तान कला परिषद के बाहर हुई, जहां मतदान चल रहा है। अनाधिकारिक परिणाम की सूचना मिलते ही दोनों पार्टी कार्यकर्ताओं के बीच झड़पें शुरू हो गईं। समर्थकों ने सुरक्षाकर्मियों पर पथराव शुरू कर दिया और अपने दंगा ढालों के साथ प्रक्षेप्य को अवरुद्ध कर दिया। इसके अलावा, सिंध के परिवहन मंत्री शारजील इनाम मेमन ने कराची में मीडिया से बात करते हुए जी को ‘फासीवादी पार्टी’ करार दिया।
शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अनुमति
डॉन ने बताया कि उन्होंने कहा कि उन्हें शांतिपूर्ण तरीके से विरोध करने की अनुमति दी गई थी, लेकिन कानून हाथ में लेने पर कार्रवाई करने की चेतावनी दी गई थी। जमात जैसी फासीवादी पार्टी ने छात्रों को हथियार सौंपे ।उन्होंने यह भी दावा किया कि जेआई “चाहते थे कि पीपीपी उन्हें पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) से वोट दिलाए।” उन्होंने पूछा, “अगर पीटीआई समर्थक अपने घरों पर बैठे हैं [और] कोई भी [उनके लिए] मतदान नहीं कर रहा है तो हम क्या कर सकते हैं?”
गुंडागर्दी करेंगे, तो हम किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेने देंगे
पीपीपी नेता ने जोर देकर कहा, “अगर जी गुंडागर्दी करेंगे, तो हम किसी को भी कानून अपने हाथ में नहीं लेने देंगे। वे कानून के भीतर शांतिपूर्ण विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। अगर कोई तोड़फोड़ करता है, तो कानून कार्रवाई में आएगा।” भोर।इसके अलावा पूरे दिन मतदान प्रक्रिया शांतिपूर्ण रही। डॉन के मुताबिक, पीटीआई के 62 में से 32 सदस्य वोट डालने नहीं पहुंचे। पूरे दिन मतदान प्रक्रिया काफी हद तक शांतिपूर्ण रही। आखिरकार, 336 यूसी सदस्यों में से 333 उपस्थित थे।
पीपीपी 366-मजबूत नगर परिषद में अकेली सबसे बड़ी पार्टी बन गई, लेकिन उसे साधारण बहुमत नहीं मिला।