पाकिस्तान के सिंध प्रांत की सरकार ने बहुप्रतीक्षित हिंदू विवाह कानून को प्रांत के हर हिस्से में लागू करने के लिए कार्रवाई शुरू कर दी है। ऐतिहासिक करार दिया गया यह कानून तीन साल पहले ही बन गया था और तभी से अपने लागू होने की बाट जोह रहा था।
एक रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2016 में सिंध विधानसभा पाकिस्तान की ऐसी पहली विधानसभा बनी थी जिसने यह ऐतिहासिक विधेयक पारित किया था। इसमें हिंदू समुदाय के विवाहों के औपचारिक पंजीकरण की व्यवस्था की गई है। अब इस पर अमल के तहत प्रांतीय सरकार के सचिव खालिद हैदर ने शाह ने कानून को लागू करने के लिए दो अधिसूचनाएं जारी की हैं। इसमें म्युनिसिपल अधिकारियों से कानून को लागू करने और इसके दिशानिर्देश से निकाह रजिस्ट्रार को भी अवगत कराने को कहा है जो मुस्लिम विवाहों को संपन्न कराने के लिए जिम्मेदार होते हैं।
उन्होंने अधिकारियों से कानून का सख्ती से पालन करने के लिए कहा है। सिंध विधानसभा ने अपने बीते सत्र में हिंदू विधवाओं को पुनर्विवाह का अधिकार दिया था। शाह ने कहा, “हिंदू विवाह विधेयक 2016 के नियमों को सिंध अल्पसंख्यक विभाग ने 2017 में जारी किया था। लेकिन, इन्हें इनकी मूलभावना के साथ पूरी गंभीरता से लागू नहीं किया गया। अब स्थानीय प्रशासन के अधिकारियों से कहा गया है कि न केवल यह कि कानून को लागू किया जाए बल्कि इस पर सख्ती से अमल भी किया जाए।”
इस कानून के लागू होने के बाद 18 साल से कम के नाबालिगों के विवाह पर रोक लगेगी। जो कोई इसके लिए दोषी पाया जाएगा, उसे कम से कम दो और अधिकतम तीन साल की सजा होगी। सिंध में हिंदू बच्चियों के जबरन धर्मातरण और फिर मुस्लिम परिवार में विवाह की समस्या से निपटने के लिए कानून के इस प्रावधान को काफी खास माना गया था। इसके साथ ही हिंदू समुदाय के विवाह की कोई औपचारिक मान्यता नहीं होने को भी यह खत्म कर इसे एक वैधानिक रूप और उससे संबंधित अधिकार देता है।