मंगलवार को अमेरिकन प्राइवेट स्पेस कंपनी SpaceX ने फॉल्कन हैवी रॉकेट लॉन्च कर इतिहास रच दिया है। मंगल पर मानव बस्ती बसाने की मस्क की महत्वाकांक्षी योजना की दिशा में यह पहला महत्वपूर्ण कदम है। फ्लोरिडा के केनडी स्पेस सेंटर स्थित नासा के लॉन्चिग पैड से ऐतिहासिक रॉकेट के उड़ान भरने पर ध्यान देने वाली बात यह है कि इस रॉकेट के साथ एलन मस्क की स्पोर्ट्स कार को भी भेजा गया। जानकारी के मुताबिक इस रॉकेट का वजन 63.8 टन है। 230 लंबे इस रॉकेट यान में 27 मर्लिन इंजन लगे हुए हैं। इस रॉकेट को फॉल्कन हैवी को फ्लोरिडा के कैनेडी अंतरिक्ष केंद्र से भारतीय समयानुसार बुधवार रात 2 बजकर 25 मिनट पर लॉन्च किया गया। पहली बार किसी प्राइवेट कंपनी ने बिना किसी सरकारी मदद से इतना बड़ा रॉकेट लॉन्च किया है। यह भी कहा जा रहा है कि इस रॉकेट को किसी 23 मंजिला इमारत के बराबर माना जा सकता है।
मस्क ने बताया था कि अपने ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसकी रफ्तार 11 किलोमीटर/सेकंड की होगी। हालांकि इसमें किसी इंसान को नहीं, बल्कि फ्यूचर स्पेस सूट पहने एक पुतले को भेजा गया है। यह स्पेसएक्स का अब तक का सबसे महत्वाकांक्षी प्रोजेक्ट है और विशेषज्ञों ने इसकी सराहना करते हुए इसे गेम-चेंजर करार दिया है। नासा की भी इस पर नजर है। चांद-मंगल पर लोगों को भेजने के मकसद को देखते हुए वह भी इस ताकतवर रॉकेट का इस्तेमाल कर सकता है। स्पेसएक्स का दावा है कि यह मौजूदा समय में इस्तेमाल हो रहे सबसे पॉवरफुल रॉकेट डेल्टा-4 हैवी से दोगुना वजन ले जा सकता है।
जानते है इस हैवी रॉकेट की खासियत के बारे में—
–SpaceX का इंजन 27 मर्लिन 1D की गुणवत्ता वाला है। इसकी लंबाई 70 मीटर (230 फीट) है और वजन 63.8 टन है। यह 64 टन का भार वहन करने में सक्षम है। इसकी ताकत 18 एयरक्राफ्ट-747 के बराबर है। बता दें कि सैटर्न-5 अब तक का सबसे पॉवरफुल रॉकेट था, अब उसका इस्तेमाल होना बंद हो गया है।
–सैटर्न-5 में 140 टन पेलोड ले जाने की ताकत थी। नासा ने सैटर्न-5 की मदद से ही चांद पर खोज के लिए कई मिशन भेजे थे। स्काईलैब भी इसी से लॉन्च की गई थी। यह 1973 तक प्रचलन में था। यह धरती की ऑर्बिट से और मंगल की ऑर्बिट तक रोटेट करेगा।
–एलन मस्क के मुताबिक अपने ऑर्बिट में पहुंचने के बाद इसकी रफ्तार 11 किलोमीटर/सेकंड की होगी एलन मस्क ने हाल ही में स्पेस रॉकेट में रखी हुई अपनी कार की फोटो शेयर की थी, जिसमें उन्होंने जिक्र किया था कि आमतौर पर टेस्टिंग रॉकेट में स्टील के ब्लॉक रखकर भेजे जाते हैं, लेकिन मुझे यह उबाऊ लगा, इसलिए मैंने कुछ अलग करने का सोचा।
–इस रॉकेट के साथ भेजी जाने वाली कार असली टेस्ला रोड्स्टर है.”कंपनी का दावा है कि दोबारा इस्तेमाल होने वाले रॉकेट से इसकी लॉन्चिंग पर होने वाले खर्च में काफी कमी आएगी।
–यूरोपियन स्पेस एजेंसियां, रूस और जापान भी इस टेक्नोलॉजी पर काम कर रही हैं। लेकिन अभी वह प्रायोगिक दौर में ही हैं अंतरिक्ष में किसी उपग्रह को स्थापित करने के लिए रॉकेट की सहायता ली जाती है। इसलिए ऐसे अनुसंधानों पर प्रोग्राम से ज्यादा खर्च स्थापित करने वाले सैटेलाइट व्हिकल पर होता है।
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