राजनाथ सिंह ने वियतनाम को सौंपी 12 तटरक्षक नौकाएं, दोनों देशों के बीच बढ़ रहा है समुद्री सुरक्षा सहयोग - Punjab Kesari
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राजनाथ सिंह ने वियतनाम को सौंपी 12 तटरक्षक नौकाएं, दोनों देशों के बीच बढ़ रहा है समुद्री सुरक्षा सहयोग

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन वियतनाम को 12 तेज गति वाली तटरक्षक नौकाएं

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अपनी यात्रा के दूसरे दिन वियतनाम को 12 तेज गति वाली तटरक्षक नौकाएं सौंपी। इन नौकाओं का निर्माण भारत द्वारा वियतनाम को दी गई 10 करोड़ डॉलर की ऋण सहायता के तहत किया गया है। राजनाथ ने होंग हा पोत कारखाने में आयोजित एक समारोह में यह अत्याधुनिक तटरक्षक नौकाएं (हाई-स्पीड गार्ड बोट) सौंपीं। यह नौकाएं ऐसे समय में वियतनाम को सौंपी गयी हैं जब दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में बीजिंग की बढ़ती सैन्य गतिविधियों से निपटने के लिए दोनों पक्षों के बीच समुद्री सुरक्षा सहयोग बढ़ रहा है। रक्षा मंत्री आठ से 10 जून तक वियतनाम के तीन दिवसीय दौरे पर हैं।


शुरुआती पांच नौकाओं का निर्माण भारत में एलएंडटी शिपयार्ड में किया गया था

राजनाथ सिंह ने इस अवसर पर कहा, भारत द्वारा 10 करोड़ अमेरिकी डालर की रक्षा ऋण सहायता के तहत 12 अत्याधुनिक तटरक्षक नौकाओं के निर्माण की परियोजना के सफल समापन के अवसर पर इस ऐतिहासिक समारोह में शामिल होकर मुझे बहुत खुशी हो रही है। शुरुआती पांच नौकाओं का निर्माण भारत में एलएंडटी शिपयार्ड में किया गया था जबकि शेष सात को होंग हा पोत कारखाने में बनाया गया था। सिंह ने कहा, मुझे विश्वास है कि यह सहयोग भारत और वियतनाम के बीच कई और सहकारी रक्षा परियोजनाओं का अग्रदूत साबित होगा। उन्होंने कहा, यह परियोजना हमारे “मेक इन इंडिया- मेक फॉर द वर्ल्ड’ मिशन का एक जीता-जागता उदाहरण है। रक्षा मंत्री ने कहा कि, भारत को बहुत खुशी होगी अगर वियतनाम जैसे करीबी दोस्त रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में शामिल हों।

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कोविड-19 महामारी के बावजूद सफलतापूर्वक पूरी हुई परियोजना
सिंह ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बावजूद सफलतापूर्वक इस परियोजना का पूरा होना भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र और होंग हा पोत कारखाने की प्रतिबद्धता और पेशेवर उत्कृष्टता को दर्शाता है। राजनाथ ने अपने संबोधन में कहा कि, भारतीय रक्षा उद्योग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘आत्मनिर्भर भारत’ के दृष्टिकोण के तहत अपनी क्षमताओं में काफी वृद्धि की है। उन्होंने कहा कि, इसका उद्देश्य भारत को एक रक्षा विनिर्माण केंद्र बनाने के लिए एक घरेलू उद्योग का निर्माण करना है जो न केवल घरेलू जरूरतों को पूरा करता है बल्कि अंतरराष्ट्रीय आवश्यकताओं की भी पूर्ति करे। इससे पहले बुधवार को भारत और वियतनाम ने 2030 तक रक्षा संबंधों के ‘‘दायरे’’ को और व्यापक बनाने के लिए एक ‘विज़न’ दस्तावेज़ और दोनों देशों की सेनाओं को एक-दूसरे के प्रतिष्ठानों का इस्तेमाल करने की अनुमति देने के वास्ते ‘लॉजिस्टिक सपोर्ट’ (समान और सेवाओं की आवाजाही को साझा समर्थन) समझौते पर हस्ताक्षर किए।

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