भारत को मानवाधिकार पर उपदेश देने से काम नहीं चलेगा, बातचीत जरूरी: भारतीय अमेरिकी सांसद Preaching To India On Human Rights Will Not Work, Dialogue Is Necessary: Indian American MP
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भारत को मानवाधिकार पर उपदेश देने से काम नहीं चलेगा, बातचीत जरूरी: भारतीय अमेरिकी सांसद

भारतीय अमेरिकी सांसदों ने भारत में मानवाधिकार से जुड़े मुद्दों को उठाते रहने की बात दोहराई, लेकिन साथ ही कहा कि इस मामले में नयी दिल्ली को उपदेश देने से कोई लाभ नहीं होगा और इस बाबत भारतीय नेतृत्व के साथ वार्ता की जरूरत है। भारतीय अमेरिकी सांसद रो खन्ना ने बृहस्पतिवार को डेमोक्रेटिक थिंक-टैंक ‘इंडियन अमेरिकन इम्पैक्ट’ के ‘देसी डिसाइड्स’ सम्मेलन में भारतीय अमेरिकी समुदाय के लोगों से कहा, ‘‘भारत 100 से अधिक वर्षों तक उपनिवेश रहा, इसलिए जब हम मानवाधिकारों के बारे में बातचीत करते हैं, जब आप जयशंकर या किसी अन्य के साथ बातचीत करते हैं, तो आपको यह समझना होगा कि यह केवल भारत को उपदेश देने की तरह लगता है। उनका कहना है कि औपनिवेशिक ताकतें सैकड़ों वर्षों से हमें उपदेश दे रही हैं। ऐसा करना उपयोगी नहीं होगा।’’

  • भारतीय अमेरिकी सांसदों ने भारत में मानवाधिकार के मुद्दों को उठाने की बात कही
  • भारत 100 से अधिक वर्षों तक उपनिवेश रहा- रो खन्ना

भारत के साथ बातचीत करना अधिक रचनात्मक- रो खन्ना

खन्ना ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि भारत के साथ यह बातचीत करना अधिक रचनात्मक नजरिया होगा कि यहां हमारे लोकतंत्र में क्या खामियां हैं, आपके लोकतंत्र में क्या खामियां हैं और हम सामूहिक रूप से लोकतंत्र और मानवाधिकारों को कैसे आगे बढ़ा सकते हैं।’’ ‘कांग्रेशनल इंडिया कॉकस’ के सह अध्यक्ष रो खन्ना के साथ इस संवाद में भारतीय अमेरिकी सांसद श्री थानेदार, प्रमिला जयपाल और डॉ. एमी बेरा भी शामिल हुए। इसका संचालन एबीसी की राष्ट्रीय संवाददाता जोहरीन शाह ने किया। शाह ने भारतीय अमेरिकी सांसदों से प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के मुस्लिम समुदाय से संबंधों को लेकर सवाल किया। बेरा ने खन्ना की बात से सहमति जताते हुए कहा, ‘‘मैंने भी भारतीय विदेश मंत्री से यही कहा है। यदि भारत धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान खो देता है तो शेष विश्व के इसे देखते के तरीके में बदलाव आ सकता है।’’

हमारे यहां अब भी एक जीवंत लोकतंत्र- बेरा

उन्होंने यह भी कहा कि ऐसा जरूरी नहीं है कि अमेरिका में पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का राष्ट्रपति रहना भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के सत्ता में रहने जैसा ही हो। उन्होंने कहा, ‘‘क्योंकि हमारे यहां अब भी एक जीवंत लोकतंत्र है। डेमोक्रेटिक पार्टी के रूप में हमारे पास एक जीवंत विपक्षी दल है। हम अब भी प्रेस की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं और ये सभी चीजें हैं जो मुझे भारत के भविष्य को लेकर चिंतित करती हैं।’’ बेरा ने कहा, ‘‘आप देखिए कि प्रेस की स्वतंत्रता के मामले में क्या हो रहा है। आप दरअसल कोई व्यवहार्य विपक्षी दल नहीं देख रहे या कहें तो इसे समाप्त किया जा रहा है। जीवंत लोकतंत्र में ये सभी चीजें होनी चाहिए- बोलने की आजादी, प्रेस की आजादी…। मुझे उम्मीद है कि आपको कभी ट्रंप का दूसरा कार्यकाल नहीं देखना पड़े, लेकिन अगर ऐसा हो भी जाए तो भी आप देखेंगे कि हमारा लोकतंत्र बचा रहेगा। मैं निश्चित रूप से आशा करता हूं कि भारत का लोकतंत्र भी बचा रहे।’’

हमें अमेरिका के हित में सोचना होगा- प्रमिला जयपाल

प्रमिला जयपाल ने कहा कि वह बेरा और खन्ना दोनों से सहमत हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं केवल एक चीज जोड़ना चाहती हूं कि मुझे लगता है कि हमें अपने देश की खामियों और किसी अन्य देश की खामियों की आलोचना करने में सक्षम होना चाहिए। यह संसद का असल काम है। हमें उपदेश नहीं देना चाहिए, मैं रो से सहमत हूं। हमें अमेरिका के सभी हितों के बारे में सोचना होगा। निश्चित रूप से आर्थिक पहलू अहम है। भारत हमारा एक महत्वपूर्ण भागीदार है। क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर बदलते परिदृश्य के कारण भी वह एक महत्वपूर्ण भागीदार है।’’ थानेदार ने कहा कि वह भारत-अमेरिका के बीच मजबूत रिश्ते के पक्षधर हैं। उन्होंने कहा, ‘‘हमें अमेरिका और भारत के बीच मजबूत रिश्तों की जरूरत है।’’ थानेदार ने कहा, ‘‘अमेरिका को भारत की शक्ति, उसकी आर्थिक शक्ति को पहचानना होगा और चीन की आक्रामकता का मुकाबला करने के लिए भारत ही सबसे अच्छा समाधान है। इसलिए मैं मजबूत भारत-अमेरिका संबंधों पर काम कर रहा हूं।’’

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