चीन और अमेरिका में बीच घमासान लगातार बढ़ता जा रहा है। नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे से चीन गुस्से में है। चीन की इसे लेकर नाराजगी विशेष तौर पर चर्चा में रही।पेलोसी ने कहा कि चीन ने ताइवान को अलग-थलग करने की कोशिश की, जिसमें हाल में उसे विश्व स्वास्थ्य संगठन में शामिल होने से रोकना शामिल है। उन्होंने कहा, ‘‘वे ताइवान को अन्य स्थानों पर जाने या भाग लेने से रोक सकते हैं लेकिन वे हमें ताइवान की यात्रा करने से रोककर उसे अलग-थलग नहीं कर पाएंगे।’’
अमेरिका जलडमरूमध्य में चाहता है शांति
अमेरिकी नेता ने कहा कि ताइवान की उनकी यात्रा का मकसद द्वीप के लिए यथास्थिति में बदलाव लाना नहीं था बल्कि ताइवान जलडमरूमध्य में शांति बनाए रखना था। उन्होंने चीन की व्यापार समझौतों के उल्लंघन, हथियारों के प्रसार और मानवाधिकार संबंधी समस्याओं को लेकर आलोचना की जबकि ताइवान की एलजीबीटीक्यू अधिकारों सहित विविधता, प्रौद्योगिकी के प्रसार और व्यापार में सफलता सहित लोकतंत्र की स्थापना के लिये प्रशंसा की।
चीन में मानवाधिकारों की कमी
पेलोसी ने कहा, “हम अगर वाणिज्यिक हितों के कारण चीन में मानवाधिकारों के लिए आवाज नहीं उठाते हैं, तो हम दुनिया में कहीं भी मानवाधिकारों के बारे में बोलने के सभी नैतिक अधिकार खो देते हैं। चीन में कुछ विरोधाभास हैं – लोगों के स्तर को ऊपर उठाने के मामले में कुछ प्रगति हुई तो उइगरों के संदर्भ में कुछ भयानक चीजें हो रही हैं…।”
उन्होंने कहा, “दो बड़े देशों”- अमेरिका व चीन- को जलवायु और अन्य वैश्विक मुद्दों के क्षेत्र में जरूर संवाद करना चाहिए। पेलोसी ने कहा, “अमेरिका-चीन संबंध क्या हैं यह हमारे दौरे से निर्धारित नहीं होगा। यह बहुत बड़ी और दीर्घकालिक चुनौती है और एक बार फिर, हमें यह स्वीकार करना होगा कि हमें कुछ क्षेत्रों में मिलकर काम करना है।”
उन्होंने कहा, “ताइवान के साथ हमारी दोस्ती बहुत मजबूत है। ताइवान में शांति और यथास्थिति के लिए प्रतिनिधि सभा और सीनेट में भारी समर्थन है।”
वह 25 वर्षों में ताइवान की यात्रा करने वाली अमेरिकी संसद की पहली अध्यक्ष हैं। उन्होंने बुधवार को ताइपे में कहा था कि द्वीप और अन्य जगहों पर लोकतंत्र के लिये अमेरिकी प्रतिबद्धता ‘बेहद मजबूत’ हैं।
चीन ने युद्धाभ्यास किया शुरू
पेलोसी और संसद के पांच अन्य सदस्य सिंगापुर, मलेशिया, ताइवान और दक्षिण कोरिया की यात्रा करने के बाद बृहस्पतिवार देर रात तोक्यो पहुंचे। गौरतलब है कि ताइवान पर अपना दावा जताने वाले चीन ने पेलोसी की यात्रा को उकसावा बताया था और बृहस्पतिवार को ताइवान के आसपास के छह क्षेत्रों में मिसाइल दागने समेत सैन्य अभ्यास शुरू कर दिया था। उसने धमकी दे रखी है कि अगर जरूरत पड़ी तो वह ताइवान पर बलपूर्वक कब्जा जमा लेगा।
पेलोसी ने कहा कि चीन ने यह ‘कार्रवाई उनके दौरे को बहाना बनाते हुए’ की है।
इससे पहले जापान के प्रधानमंत्री फुमियो किशिदा ने शुक्रवार को कहा कि ताइवान की ओर लक्षित चीन का सैन्य अभ्यास एक ‘‘गंभीर समस्या’’ को दिखाता है, जिससे क्षेत्रीय शांति एवं सुरक्षा को खतरा है। दरअसल, अभ्यास के तौर पर चीन द्वारा दागी गयी पांच बैलिस्टिक मिसाइलें जापान के विशेष आर्थिक क्षेत्र में गिरीं। किशिदा ने अमेरिकी संसद की अध्यक्ष नैंसी पेलोसी और सांसदों के उनके प्रतिनिधिमंडल के साथ सुबह के नाश्ते के बाद कहा कि मिसाइल प्रक्षेपणों को ‘‘तुरंत रोके’’ जाने की आवश्यकता है।