पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था की हालत दुनिया से छिपी नहीं है। पाकिस्तान अपनी जरूरतों के लिए अक्सर वर्ल्ड बैंक और आईएमएफ के अलावा अन्य देशों से वित्तीय सहायता के लिए गुहार लगाता रहता है और उनके आगे हाथ फैलाता रहता है। अब पाकिस्तान की अर्थव्यस्था को पूरी तरह से अस्त- व्यस्त कर देने वाली खबर आ रही है।
बता दें, इंटरनेशनल ट्रिब्यून ने पाकिस्तान पर 5.8 बिलियन डॉलर यानी 580 करोड़ डॉलर का जुर्माना लगा दिया है। ये जुर्माना पाकिस्तान की जीडीपी के लगभग दो फीसदी के बराबर है। इंटरनेशनल ट्रिब्यून ने पाकिस्तान पर ये जुर्माना ऑस्ट्रेलियाई कंपनी का खनन पट्टा रद्द करने पर लगाया है।
पाकिस्तान की सरकार ने बलूचिस्तान में टेथ्यान कॉपर कॉर्प नामक कंपनी को लीज पर माइनिंग की इजाजत दी थी लेकिन इस खनन पट्टे को पाक ने रद्द कर दिया। पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत का रेको डीक जिला सोने और तांबे सहित दूसरी अन्य खनिज संपदा के लिए प्रसिद्ध है।
सरकार ने टेथयॉन कॉपर कंपनी को दिए गए खनन पट्टे को रद्द कर दिया था, जिसकी वजह से पाकिस्तान पर यह जुर्माना लगाया गया है। टेथयॉन कॉपर में बैरिक गोल्ड कारपोरेशन ऑफ ऑस्ट्रेलिया और चिली की एंटोफगस्टो पीएलसी की बराबर की हिस्सेदारी है। पाकिस्तान ने वर्ल्ड बैंक इंटरनेशनल सेंटर फॉर सेटलमेंट ऑफ इंवेस्टमेंट डिस्प्यूट से जुर्माना न वसूलने की अपील की है, जिस पर विचार किया जा रहा है।
बलूचिस्तान सरकार ने खदान को विकसित करने के लिए अपनी स्वयं की एक कंपनी बनाई है। क्योंकि कमोडिटी की कीमतें बढ़ रही हैं, इसलिए स्थानीय सरकार मौके का ज्यादा से ज्यादा लाभ उठाना चाहती है। स्थिति की गंभीरता को देखते हुए पाकिस्तान ने कंपनी से वैकल्पिक समाधानों पर चर्चा की इच्छा व्यक्त की है, लेकिन अभी कुछ भी स्पष्ट नहीं है।
पाक अधिकारियों ने कहा कि वे प्रत्यक्ष रूप से किसी के संपर्क में नहीं हैं और कोई विशेष समझौता नहीं किया गया है। बता दें, इमरान खान नए पाकिस्तान के नारे के साथ सत्ता में आये थे। पाकिस्तान को उम्मीद थी कि इमरान दूसरे नेताओं से कुछ अलग करके दिखाएंगे, लेकिन वह पूरी तरह नाकाम साबित हुए हैं।
पाकिस्तान ने इंटरनेशनल सेंटर में कहा है कि उसे इस जुर्माने से राहत दी जाए क्योंकि अगर वो यो भारी-भरकम पेनल्टी देता है तो उसे कोरोना के खिलाफ चल रही देश की जंग में बहुत दिक्कतों का सामना करना पड़ेगा और ये एक वैश्विक महामारी है जिसके समाधान के लिए कई राष्ट्रों को आर्थिक सहायता की दरकार है।