पिछले दो महीनों से हिंसा झेल रहे मणिपुर को लेकर यूरोपीय यूनियन (EU) की संसद में बुधवार को एक प्रस्ताव पेश किया गया। जिसे भारत सरकार ने खारिज कर दिया है। इस मामले पर भारत सरकार का कहना है कि मणिपुर का मुद्दा भारत के लिए एक आंतरिक मुद्दा है। यूरोपीय संसद में प्रस्ताव पर बहस भारत के मणिपुर हिंसा पर अपना रुख स्पष्ट करने के बावजूद हो रही है।
स्थिति में सुधार के लिए के लिए भारत से बात करें
आपको बता दें यूरोपीय संसद में 12 जुलाई को छह संसदीय दलों ने एक प्रस्ताव पेश किया जिसमें मणिपुर हिंसा को न रोक पाने के लिए मोदी सरकार और उनकी पार्टी भारतीय जनता पार्टी की आलोचना की गई थी। प्रस्ताव में हिंसा की निंदा करते हुए ईयू के शीर्ष अधिकारियों को निर्देश दिया गया था कि वो स्थिति में सुधार के लिए के लिए भारत से बात करें।
यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है-भारत
लेकिन, भारत ने ईयू के इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया है। विदेश सचिव विनय मोहन ने कहा, ‘यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है। हम यूरोपीय संसद में होने वाली घटनाओं से अवगत हैं हमने इस मामले से संबंधित यूरोपीय संसद के सदस्यों से संपर्क भी किया है। हमने यह पूरी तरह से स्पष्ट कर दिया है कि यह पूरी तरह से भारत का आंतरिक मामला है।
मणिपुर हिंसा 3 मई को भड़की
दरअसल, मणिपुर हिंसा 3 मई को उस वक्त भड़की प्रदेश की बहुसंख्यक मैतेई समुदाय को जनजाति का दर्जा दिए जाने की मांग के खिलाफ अल्पसंख्यक कुकी आदि जनजाती समुदायों समुदायों ने एक रैली निकाली थी। यह रैली हिंसक हो गई और मैतेई समुदाय पर हमले किए गए।