मलेशिया: मुहीद्दीन यासीन के इस्तीफे के बाद सुल्तान ने नए प्रधानमंत्री को नियुक्त करने के लिए तेज की सियासी कवायद - Punjab Kesari
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मलेशिया: मुहीद्दीन यासीन के इस्तीफे के बाद सुल्तान ने नए प्रधानमंत्री को नियुक्त करने के लिए तेज की सियासी कवायद

मलेशिया के सुल्तान मंगलवार को राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। वह देश में कोरोना वायरस की

मलेशिया में प्रधानमंत्री मुहीद्दीन यासीन के त्यागपत्र के बाद सियासी घमासान का पारा काफी ऊंचा हो गया है। देश में ज्यादा दिन तक बिना किसी प्रधानमंत्री के चलाना राजगद्दी के लिए मुश्किल हो सकता है। ऐसे में मलेशिया के सुल्तान मंगलवार को राजनीतिक पार्टियों के नेताओं से मुलाकात करेंगे। वह देश में कोरोना वायरस की बदतर होती स्थिति के बीच नया प्रधानमंत्री नियुक्त करने में तेज़ी लाने की कोशिश में हैं।
देश के प्रधानमंत्री मुहीद्दीन यासीन ने करीब 18 महीने पद पर रहने के बाद सोमवार को इस्तीफा दे दिया था। माना जाता है कि उनकी सरकार कोविड-19 महामारी का ठीक तरह से प्रबंध नहीं कर पाई थी जिस वजह से उनपर जनता की नाराज़गी का दबाव था और यही वजह रही कि उन्होंने पद से त्याग पत्र दे दिया। मलेशिया में दुनिया में प्रति व्यक्ति सबसे ज्यादा संक्रमण दर और मृत्यु दर है।
देश में सात महीने से आपातकाल लागू है और जून से लॉकडाउन लगा है, बावजूद इसके दैनिक मामलों की संख्या 20,000 के पार है। सुल्तान ने आम चुनाव कराए जाने की संभावना से इनकार किया है, क्योंकि देश के कई हिस्से ‘रेड जोन’ के दायरे में हैं और स्वास्थ्य सुविधाएं अपर्याप्त हैं। हालांकि यासीन को तबतक के लिए कार्यवाहक (केयर टेकर) प्रधानमंत्री नियुक्ति किया गया है जबतक उनके उत्तराधिकारी का फैसला नहीं हो जाता है।
स्थानीय मीडिया ने कहा कि सुल्तान अब्दुल्ला सुल्तान अहमद शाह ने महल में मंगलवार को पार्टियों के नेताओं को बुलाया है और माना जाता है कि सभी नेताओं को एक ही वक्त पर आमंत्रित किया गया है। इसमें यासीन की सरकार में शामिल पूर्व राजनीतिक दल एवं विपक्षी पार्टियां शामिल हैं।
देश में सुल्तान की भूमिका रस्मी है लेकिन वह उस शख्स को प्रधानमंत्री नियुक्ति कर सकते हैं जिनके बारे में वह समझते हैं कि उसे प्रधानमंत्री बनने के लिए संसद में बहुमत हासिल है। हालांकि शाह के लिए प्रधानमंत्री पद के लिए योग्य शख्स का चयन करना काफी मुश्किल काम है, क्योंकि किसी भी गठबंधन ने बहुमत का दावा नहीं किया है। संसद में साधारण बहुमत के लिए 111 सदस्यों की जरूरत होती है जो फिलहाल किसी दल या गठबंधन के पास नहीं है।

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