जानिए ईरानी राष्ट्रपति की मौत पर इजरायली मीडिया ने क्या कहा, रईसी को बताया 'तेहरान का कसाई...',
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जानिए ईरानी राष्ट्रपति की मौत पर इजरायली मीडिया ने क्या कहा, रईसी को बताया ‘तेहरान का कसाई…’,

Tehran Butcher : ईरान के राष्‍ट्रपत‍ि इब्राहिम रईसी और विदेश मंत्री की अजरबैजान सीमा के पास हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत हो गई है। इस हादसे के करीब 12 घंटे बाद राहत और बचाव के दौरान तुर्की के ड्रोन ने मलबे का पता लगाया। ईरान की सरकार ने ऐलान किया कि क्रैश में राष्‍ट्रपत‍ि रईसी समेत विदेश मंत्री और गवर्नर की मौत हो गई है। एक तरफ दुनिया भर में इब्राहिम रईसी की मौत को लेकर दुख जताया जा रहा है तो दूसरी तरफ इजरायली मीडिया में ईरानी राष्ट्रपति रईसी की तुलना तेहरान के कसाई से की जा रही है।

वहीं इजरायली मीडिया ने रईसी की मौत की खबर को लेकर कई तरह की टिप्पणियां की हैं। इजरायल के एक बड़े अखबार ‘द टाइम्स ऑफ इजरायल’ ने लिखा है कि ‘राष्ट्रपति बनने से पहले, रईसी ने ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई के अधीन न्यायपालिका के अंदर विभिन्न पदों पर काम किया। एक अभियोजक के रूप में, और 1988 में ईरान-इराक युद्ध के अंत में, वो समिती का हिस्सा थे जिसने हजारों राजनीतिक कैदियों को मौत की सजा सुनाई। हजारों की संख्या में लोगों को मौत के घाट उतारने के बाद उन्हें  “”तेहरान (ईरान की राजधानी) का कसाई” कहा गया।’

द ‘टाइम्स ऑफ इजरायल’ ने क्या कहा?

वहीं एक और अख़बार ‘टाइम्स ऑफ इजरायल’ के एक अन्य लेख में कहा गया है कि दो वरिष्ठ ईरानी अधिकारियों की मौत ऐसे समय में एक नाटकीय घटनाक्रम है जब क्षेत्र में कई संघर्ष एक साथ चल रहे हैं। लेकिन इस घटना से क्षेत्र की लड़ाइयों पर बड़ा असर नहीं पड़ेगा, क्योंकि विदेश नीति और युद्ध पर निर्णय ईरान के सर्वोच्च नेता नेता अली खामेनेई करते हैं।

द जेरुसलम पोस्ट’ ने क्या कहा?

इजरायल के एक और अखबार ‘द जेरुसलम पोस्ट’ ने एक विश्लेषात्मक लेख छापा है जिसमें कहा है कि रईसी की मौत से ईरान की घरेलू राजनीति पर असर देखने को मिलेगा लेकिन सत्ता नहीं बदलेगी। लेख में लिखा गया, ‘रईसी की मौत से इजरायल के साथ ईरान की दुश्मनी पर कोई असर नहीं होगा और न ही ईरान हमास और हिज्बुल्लाह जैसे समूहों को समर्थन देना छोड़ेगा जो फिलहाल इजरायल के साथ युद्ध लड़ रहे हैं। रईसी की मौत से ईरान के परमाणु बम बनाने की योजना पर भी कोई असर नहीं होगा।

 ‘रईसी को ईश्वर ने सजा दी है’

जेरुसलम पोस्ट के ही एक अन्य लेख में लिखा गया कि, ‘रविवार को उत्तर-पश्चिमी ईरान में कोहरे की स्थिति में ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के हेलीकॉप्टर की आपातकालीन “हार्ड लैंडिंग” की खबर के बाद, इजरायल के कई यहूदी धर्मगुरुओं ने सार्वजनिक रूप से टिप्पणी की है। उनका कहना है कि ये सब ईश्वर ने किया है। ‘

न्यूज वेबसाइट हारेत्ज ने क्या कहा-

इजरायल की एक न्यूज वेबसाइट हारेत्ज ने लिखा कि घंटों चले सर्च ऑपरेशन के बाद रेस्क्यू टीम ने राष्ट्रपति रईसी औऱ विदेश मंत्री अब्दुल्लाहियान को ले जा रहे। हेलिकॉप्टर को ढूंढ लिया है जो पूरी तरह जली हुई स्थिति में मिला है। सोमवार को, अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि हेलिकॉप्टर पर सवार सभी यात्रियों की मौत हो गई है।

धर्मगुरु ने रईसी को ‘तेहरान का जल्लाद’ कहा

धर्मगुरु मीर अबुतबुल ने रईसी को ‘तेहरान का जल्लाद’ कहते हुए अपने एक फेसबुक पोस्ट में उनके लिए आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया है। अपनी पोस्ट में अबुतबुल लिखते हैं, ‘वो यहूदियों को सूली पर लटकाना चाहता था, इसलिए ईश्वर ने एक हेलिकॉप्टर क्रैश में उसके और इजरायल से नफरत करने वाले उसके सभी साथियों को सजा दी।’ अबुतबुल ने लिखा कि यह रईसी को ईश्वर का दंड है।

क्या था 1988 के कैदियों का भीषण नरसंहार?

आपको बता दें कि, तेहरान में साल 1988 में कैदियों के भीषण नरसंहार और क्रूर हत्या के लिए रईसी को कभी-कभी विशेष रूप से “तेहरान का कसाई” कहा जाता था। आरोप था कि जिन 4 न्यायाधीशों ने यह फैसला दिया था, उसमें इब्राहिम रईसी भी शामिल थे। तब वह ईरान में बतौर न्यायाधीश काम कर रहे थे। इस दौरान उन्होंने ईरान-इराक युद्ध के बाद हजारों राजनीतिक कैदियों की सामूहिक फांसी की निगरानी की थी। ह्यूमन राइट्स वॉच के अनुसार, ईरान ने कभी भी यह स्वीकार नहीं किया कि इस दौरान कितने लोगों को फांसी दी गई, लेकिन अनुमानित संख्या 2,800 से 5,000 लोगों की बताई जाती है।

रईसी तब तेहरान के उप अभियोजक जनरल थे। लिहाजा अमेरिकी ट्रेजरी विभाग ने 2019 में उन पर प्रतिबंधों की घोषणा कर दी। अमेरिका ने कहा रईसी तथाकथित रूप से उस ‘मौत आयोग’ में शामिल थे, जिसमें हजारों राजनीतिक कैदियों की न्यायेत्तर फांसी का आदेश दिया था। हालांकि 2021 में राष्ट्रपति निर्वाचित होने के बाद संवाददाता सम्मेलन के दौरान रईसी से 1988 के सामूहिक नरसंहार में उनकी कथित संलिप्तता के बारे में पूछा गया, तो उन्होंने खुद को “मानवाधिकारों का रक्षक” बताया था।

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