तालिबान राज के बाद अफगानिस्तान बद से बदतर बनता जा रहा है। यहां के आर्थिक हालात इतने खराब हैं कि लोग भूख से तड़प रहे हैं। बैंकों में नकदी खत्म हो चुकी है। तालिबानी सरकार के पास भी फंड नहीं बचा है। व्यापार ठप है और आम जनजीवन त्रस्त हो चुका है। इस बीच भारत अफगानिस्तान की स्थिति पर चर्चा करने के लिए एनएसएस लेवल की एक बैठक आयोजित करने जा रहा है। इसके लिए पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार मोईद यूसुफ को भी आमंत्रित किया गया था। लेकिन उन्होंने इस बैठक में शामिल होने से इनकार कर दिया है. पाकिस्तान के एनएसए ने इस बात की पुष्टि उज्बेकिस्तान के साथ एक सुरक्षा समझौते पर हस्ताक्षर करने के दौरान की है। इस बात की जानकारी पाकिस्तानी अखबर बिजनेस रिकॉर्ड ने दी है।
रिपोर्ट में बताया गया है कि मोईद यूसुफ से सवाल पूछा गया था कि भारत द्वारा आयोजित क्षेत्रीय सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान ने आमंत्रण को स्वीकार किया है या नहीं? इसपर यूसुफ ने कहा, ‘मैं नहीं जाऊंगा।’ इससे पहले पाकिस्तान के विदेश कार्यालय ने पुष्टि की थी कि भारत ने सम्मेलन में शामिल होने के लिए पाकिस्तान को आमंत्रित किया है. भारत ने आधिकारिक तौर पर रूस, ईरान, चीन, पाकिस्तान, तजाकिस्तान और उज्बेकिस्तान को आमंत्रित किया है। ये बैठक अगले हफ्ते होगी।
मास्को में हुई थी बैठक
इससे पहले रूस ने मास्को में अफगानिस्तान के मुद्दे पर चर्चा करने के लिए एक बैठक आयोजित की थी। जिसमें भारत शामिल हुआ था। हालांकि दोनों देशों के प्रतिनिधियों ने इससे इतर कोई बैठक नहीं की। इसमें तालिबान के एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल ने अफगानिस्तान की अंतरिम सरकार के उप प्रधानमंत्री अब्दुल सलाम हनफी के नेतृत्व में हिस्सा लिया था। इस दौरान इनके बीच कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई।
भारत ने बैठक में क्या कहा?
मास्को में हुई बैठक में भारत ने इस देश के लिए व्यापक मानवीय सहायता प्रदान करने की इच्छा व्यक्त की थी। साथ ही कहा था कि वह इसके लिए तैयार है। बात दें तालिबान ने अगस्त में अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया था। इसी दिन देश की सरकार गिर गई। जिसके बाद से देश की अर्थव्यवस्था गिर गई है। भुखमरी जैसे हालात पैदा हो गए हैं। संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि देश की आधी से ज्यादा आबादी भुखमरी की ओर बढ़ रही है। जिसके कारण इस देश में बड़ा मानवीय संकट खड़ा हो सकता है।