भारत ने निभाया पड़ोसी धर्म, आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को कर्ज देने में इंडिया सबसे आगे - Punjab Kesari
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भारत ने निभाया पड़ोसी धर्म, आर्थिक संकट से जूझ रहे श्रीलंका को कर्ज देने में इंडिया सबसे आगे

भारत गहरे राजनीतिक संकट एवं आर्थिक विपदा का सामना कर रहे श्रीलंका के लिए 2022 में सबसे बड़े

श्रीलंका पिछले कई महीनों से आर्थिक संकट का सामना कर रहा था जिसके लिए भारत हर पल इस देश की मदद करता ऱहा। आर्थिक संकट का बौहखाल श्रीलंका में इतना बढ़ गया कि यहां की आम जनता देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के विरूद्ध खड़ी हो गई। हालांकि, भारत कर्जदाता के रूप में श्रीलंका को मदद पहुंचाने में सबसे आगे हैं। मिली जानकारी के मुताबिक भारत ने अपने पड़ोसी देश श्रीलंका को  37.7 करोड़ डॉलर का कर्ज दिया जिसके चलते भारत अपना फर्ज निभाता रहा हैं।  
भारत और एडीबी दोनों ने मिलकर  जनवरी से अप्रैल के बीच श्रीलंका
भारत श्रीलंका को कर्ज सहायता देने में पहले नंबर पर - India at number one in  providing loan assistance to Sri Lanka
रिपोर्ट के मुताबिक, एशियाई विकास बैंक (एडीबी) इस अवधि में श्रीलंका को 36 करोड़ डॉलर का कर्ज देकर दूसरा बड़ा कर्जदाता बना है। भारत और एडीबी दोनों ने मिलकर इस साल जनवरी से अप्रैल के बीच श्रीलंका को आवंटित कुल कर्ज में 76 प्रतिशत का योगदान दिया है। साल के पहले चार महीनों में श्रीलंका को विभिन्न सरकारों एवं संस्थानों से कुल 96.8 करोड़ डॉलर का कर्ज आवंटित किया गया। इसमें 37.7 करोड़ डॉलर के साथ भारत सबसे आगे रहा है।श्रीलंका स्थित स्वतंत्र शोध संस्थान वेराइट रिसर्च ने कहा है कि श्रीलंका को कर्ज देने में एडीबी सबसे बड़ा बहुपक्षीय संस्थान रहा है। वेराइट रिसर्च एशियाई क्षेत्र में निजी कंपनियों और सरकारों को रणनीतिक विश्लेषण के साथ परामर्श देने का काम भी करता है।
रानिल विक्रमसिंघे की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार 
कोलंबो स्थित भारतीय उच्चायोग ने कहा कि इस साल श्रीलंका को भारत की तरफ से कुल चार अरब डॉलर की ऋण सहायता दी गई है जिसमें मुद्राओं की अदला-बदली भी शामिल है।इस साल की शुरुआत से ही श्रीलंका गहरे वित्तीय संकट से जूझ रहा है। विदेशी मुद्रा के अभाव में वह जरूरी खानपान एवं ईंधन सामग्री की भी खरीद नहीं कर पा रहा था। ऐसे समय में भारत ने उसे ईंधन खरीद के लिए ऋण सुविधा भी मुहैया कराई।जरूरी चीजों के दाम बढ़ने से श्रीलंका में आंतरिक अशांति भी पैदा हो गई। व्यापक स्तर पर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद तत्कालीन राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को देश छोड़कर भागने के लिए मजबूर होना पड़ा।हालांकि, रानिल विक्रमसिंघे की अगुवाई वाली मौजूदा सरकार अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) के साथ 2.9 अरब डॉलर का एक ऋण समझौता करने में सफल रही है। विश्लेषकों को इससे हालात में कुछ हद तक सुधार आने की उम्मीद है।

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