आज़ादी ! सऊदी महिलाएं अब स्टेडियम में भी कर सकेंगी चियर्स - Punjab Kesari
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आज़ादी ! सऊदी महिलाएं अब स्टेडियम में भी कर सकेंगी चियर्स

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सऊदी अरब पहली बार महिलाओं को स्टेडियम में खेल प्रतिस्पर्धाएं देखने की इजाज़त देने जा रहा है। अधिकारियों ने बताया कि अगले साल से ऐसा हो सकेगा। सऊदी अरब के तीन बड़े शहरों रियाद, जेद्दा और दम्माम में लोग परिवार के साथ स्टेडियम में दाखिल हो सकेंगे।

Saudi women

सऊदी महिलाओं को और ज़्यादा आज़ादी दिए जाने की दिशा में ये ताजा कदम है। सऊदी अरब में महिलाओं के जीने के तौर तरीकों के लेकर कड़े नियम कायदे हैं। लेकिन हाल ही में सऊदी सरकार ने महिलाओं की ड्राइविंग पर लगाए प्रतिबंध को हटाकर ऐतिहासिक कदम उठाया था।

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सुधार का श्रेय

क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान सऊदी समाज के आधुनिकीकरण और अर्थव्यवस्था को नई रफ्तार देने की मुहिम में लगे हुए हैं। सऊदी अरब के खेल प्राधिकरण ने कहा है कि स्टेडियमों में महिलाओं के लिए ज़रूरी इंतजाम कर दिए जाएंगे ताकि साल 2018 की शुरुआत तक वहां लोग अपने परिवारों के साथ जा सकें।

Prince salman

अभी तक सऊदी अरब के स्टेडियमों में केवल पुरुषों को जाने की इजाजत थी। इसके लिए वहां मॉनीटर स्क्रीन लगाए जाएंगे और रेस्तरां और कैफ़े का इंतज़ाम भी होगा। सऊदी अरब में हो रहे हर सुधार का श्रेय क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान को दिया जा रहा है।

कौन हैं प्रिंस सलमान

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जब साल 2015 में प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान के पिता देश के किंग बने, उससे पहले सऊदी अरब के बाहर कुछ ही लोगों ने सलमान के बारे में सुन रखा होगा। लेकिन उसके बाद से 31 वर्षीय मोहम्मद बिन सलमान दुनिया के अग्रणी तेल निर्यातक देश के सबसे प्रभावशाली व्यक्ति बन गए। सलमान का जन्म 31 अगस्त 1985 को हुआ था।

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वो तत्कालीन प्रिंस सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सऊदी की तीसरी पत्नी फहदाह बिन फलह बिन सुल्तान के सबसे बड़े बेटे हैं। राजधानी रियाद के किंग सऊदी विश्वविद्यालय से क़ानून की डिग्री लेने के बाद, उन्होंने कई सरकारी संस्थाओं में सेवाएं दीं।

आर्थिक बदलाव

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साल 2009 में वो अपने पिता के विशेष सलाहकार नियुक्त हुए, जो उस समय रियाद के गवर्नर थे। मोहम्मद बिन सलमान की सत्ता की सीढ़ी चढ़ने की शुरुआत साल 2013 में तब हुई, जब उन्हें क्राउन प्रिंस कोर्ट का मुखिया चुना गया. यह मंत्री पद का दर्ज़ा था। प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने विज़न 2030 के तहत इस तेल निर्भर राज्य में सामाजिक और आर्थिक बदलाव को अंजाम देने वाले बहुत सारे फैसले लिए। उन्होंने देश की उदार सब्सिडी व्यवस्था को कम करने की शुरुआत की और सरकारी तेल संपनी सऊदी अराम्को के निजीकरण का प्रस्ताव आगे बढ़ाया।

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