श्रीलंका में गहराते आर्थिक और राजनीतिक संकट के बीच राष्ट्रपति गोटाबया राजपक्षे पर इस्तीफे के लिए दबाव बनाने के लक्ष्य से बृहस्पतिवार को आहूत आम हड़ताल के समर्थन में प्रतिष्ठानों पर ताला लटका रहा जबकि सार्वजनिक परिवहन ठप रहा। राजधानी कोलंबो के औद्योगिक/व्यावसायिक जिले बंद थे, बैंक कर्मचारी, शिक्षक और अन्य पेशेवरों ने जुलूस निकाला और राष्ट्रपति कार्यालय के समक्ष मुख्य प्रदर्शन स्थल पर पहुंचे जहां कई सप्ताह से प्रदर्शनकारी जमे हुए हैं। डॉक्टरों और नर्सों का कहना है कि उन्होंने अपने भोजनावकाश के दौरान हड़ताल का समर्थन करेंगे। अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज का भुगतान भी टाल दिया
20 साल से शासन कर रहे राष्ट्रपति
अधिकारिक सूत्रों के मुताबिक कि भारी विदेशी कर्ज के कारण श्रीलंका दिवालिया होने के कगार पर है, उसके पास विदेशी मुद्रा भंडार की कमी है, जिसके कारण वह ईंधन और खाद्यान्न जैसी महत्वपूर्ण चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है। सड़कों पर 31 मार्च से ही जमे प्रदर्शनकारी देश के इस भीषण आर्थिक संकट के लिए द्वीपीय देश पर पिछले करीब 20 साल से शासन कर रहे राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे और उनके परिवार को जिम्मेदार ठहरा रहे हैं।इससे पहले श्रीलंका ने इस साल चुकाये जाने वाले सात अरब अमेरिकी डॉलर के कर्ज का भुगतान भी टाल दिया। श्रीलंका के पास फिलहाल एक अरब डॉलर से भी कम का विदेशी मुद्रा भंडार है और वह कम होता जा रहा है।
कोरोना वायरस को आर्थिक संकंट का कारण बताया
विदेशी मुद्रा की कमी के कारण ईंधन, घरेलू गैस, दवाओं और दूध का आयात नहीं हो पा रहा है, देश में इनकी कमी हो गई है और लोगों को थोड़ा सामान लेने के लिए भी घंटों लाइनों में लगना पड़ रहा है।वहीं, सरकारी अधिकारियों ने यूक्रेन पर रूस के हमले और कोरोना वायरस संक्रमण को इस आर्थिक संकट का कारण बताया और कहा कि उन्होंने कर्ज भुगतान के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ), चीनी अधिकारियों और अन्य से चर्चा की है।दूसरी ओर राजपक्षे ने अपने कैबिनेट में फेर-बदल किया और सरकार में सभी को शामिल कर प्रदर्शनकारियों का शांत करने का प्रयास किया लेकिन विपक्षी दलों ने राजपक्षे भाइयों के नेतृत्व वाली सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया।