पाक की एक भ्रष्टाचार-निरोधक अदालत ने देश के पूर्व राष्ट्रपति असिफ अली जरदारी को भ्रष्टाचार के एक पुराने मामले में मुक्त कर दिया है। उन पर आय से अधिक संपत्ति रखने का आरोप था। जरदारी के वकील फारूक एच. नाइक ने जरदारी को बरी किये जाने का अनुरोध किया था और नेशनल अकाउंटेबिलिटी ब्यूरो अदालत के जस्टिस खालिद महमूद रांझा ने उनके इस अनुरोध को स्वीकार कर लिया।
उन्होंने कहा कि 62 वर्षीय जरदारी के खिलाफ पेश अधिकतर दस्तावेज फोटोकॉपी में थे, जिन्हें स्वीकार नहीं किया जा सकता। उन्होंने यह भी कहा अधिकतर गवाहों ने बताया कि उन्हें अधिकतर विस्तृत जानकारी याद नहीं है क्योंकि यह एक पुराना मामला है। आखिरकार जज ने मामला रद्द करते हुए कल पूर्व राष्ट्रपति को बरी कर दिया। मामला वर्ष 1999 में शुरू हुआ था लेकिन वर्ष 2007 में उनकी दिवंगत पत्नी बेनजीर भुट्टो तथा पूर्व राष्ट्रपति जनरल परवेज मुशर्फ के साथ हुए एक राजनीतिक समझौते के बाद जरदारी के खिलाफ ऐसे पांच अन्य मामलों सहित इस मामले को रद्द कर दिया गया था।
बहरहाल पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2009 में इस समझौते और उनकी माफी को खारिज कर दिया और इस संबंध में जांच के आदेश दिये, हालांकि अदालत उनके खिलाफ मामला नहीं शुरू कर पायी क्योंकि बतौर राष्ट्रपति उन्हें मुकदमे से छूट हासिल थी।
यह मामला एक बार फिर वर्ष 2015 में शुरू हुआ और आखिरकार फैसला जरदारी के पक्ष में आया। जरदारी के खिलाफ भ्रष्टाचार के छह मामलों में से यह अंतिम था और अब उन्हें सभी मामलों से मुक्त कर दिया गया है। जरदारी की बेटी बख्तावर ने सोशल मीडिया पर इस फैसले पर खुशी जताते हुए लिखा कि आईके (इमरान खान) और एनएस (नवाज शरीफ) नेशनल अकाउंटबिलिटी ब्यूरो (एनएबी) से छिपते फिरते रहते हैं जबकि मेरे पिता आसिफ अली जरदारी के खिलाफ लंबित यह अंतिम मामला भी रद्द कर दिया गया है। बगैर एक भी दोषसिद्धि के उन्होंने 11 वर्ष से अधिक समय तक सामना किया।