चीन ने कहा- बाहरी ताकतों पर निर्भर रहने से ताइवान के अलगाववादियों को कुछ हासिल नहीं होगा - Punjab Kesari
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चीन ने कहा- बाहरी ताकतों पर निर्भर रहने से ताइवान के अलगाववादियों को कुछ हासिल नहीं होगा

चीन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बाहरी ताकतों पर निर्भर रहने से ताइवान के अलगाववादियों को

चीन ने चेतावनी देते हुए कहा है कि बाहरी ताकतों पर निर्भर रहने से ताइवान के अलगाववादियों को कुछ हासिल नहीं होगा और बाहरी ताकतें यह मंसूबा नहीं पालें कि ‘ड्रैगन’ को नियंत्रित करने के लिए ताइवान को ‘बली का बकरा’ बनाया जा सकता है।
देश ‘ताइवान स्वतंत्रता’,अलगाववादी ताकतों और बाहरी ताकतों
चीन ने हाल ही में राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय न्याय के मौलिक हितों को बनाए रखने के अपने पक्ष को मजबूती से रखते हुए एक श्वेत पत्र जारी करके यह चेतावनी दी है।  नये युग में ताइवान प्रश्न और चीन का पुनर्मिलन’ शीर्षक से जारी श्वेत पत्र में कहा गया है,‘‘देश ‘ताइवान स्वतंत्रता’,अलगाववादी ताकतों और बाहरी ताकतों के घिनौने राजनीतिक स्वभाव और भयावह मंशा को गहराई से खारिज करता है और उनके लिए एक कड़ चेतावनी जारी करता है।’’ श्वेत पत्र में कहा गया है,‘‘ चीन के 5,000 साल के इतिहास में, राष्ट्रीय एकीकरण और विभाजन का विरोध पूरे देश का एक सामान्य आदर्श और साझा परंपरा बना हुआ है। ताइवान प्राचीन काल से चीन के क्षेत्र का एक अभिन्न अंग रहा है।
अलगाववाद ताइवान को रसातल में डूबो देगा
चीन से ताइवान अलगाव की बात करना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है, और ताइवान जलडमरूमध्य की दोनों ओर हमवतन के सामान्य हितों और चीनी राष्ट्र के मौलिक हितों को कमजोर करता है।ये रास्ता कहीं भी नहीं जायेगा। ताइवान सभी चीनी लोगों का है, जिसमें ताइवान के 23 लाख हमवतन भी शामिल हैं। ’’ पत्र में यह भी कहा गया है,‘‘अलगाववाद ताइवान को रसातल में डूबो देगा और द्वीप के लिए आपदा के अलावा कुछ नहीं लाएगा। यह पूरे चीनी राष्ट्र के हितों को कमजोर करेगा और चीन के लोग कभी इसकी सहमति नहीं देंगे। यहाँ दुनिया में केवल एक चीन है, और ताइवान चीन का हिस्सा है। यह इतिहास और कानून द्वारा समर्थित एक निर्विवाद तथ्य है।
राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना
 ताइवान प्रश्न एक आंतरिक मामला है जिसमें चीन के मूल हित और चीनी लोगों की राष्ट्रीय भावनाएं शामिल हैं, और कोई बाहरी हस्तक्षेप बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। ’’ श्वेत पत्र के अनुसार,‘‘ राष्ट्रीय एकता और क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना प्रत्येक संप्रभु राज्य का पवित्र अधिकार है। चीन शांतिपूर्ण विकास के लिए दृढ़ता से प्रतिबद्ध है। साथ ही, यह किसी भी बाहरी हस्तक्षेप के तहत नहीं झुकेगा, और न ही यह अपनी संप्रभुता, सुरक्षा और विकास हितों पर किसी भी उल्लंघन को बर्दाश्त करेगा। हम सबसे बहुत ईमानदारी के साथ काम करेंगे और शांतिपूर्ण एकीकरण के लिए अपनी पूरी कोशिश करेंगे। लेकिन हम बल प्रयोग का त्याग नहीं करते हैं, और हम सभी आवश्यक उपाय करने का विकल्प सुरक्षित रखते हैं।’’ श्वेत पत्र में कहा गया है, ‘‘ बल का प्रयोग ही अंतिम उपाय होगा। इतिहास का पहिया राष्ट्रीय एकीकरण की ओर बढ़ता है, और इसे किसी व्यक्ति या किसी भी ताकत द्वारा रोका नहीं जाएगा।’

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