अमेरिका को आंख दिखा रहे सऊदी के लिए चीन बना खास! जिनपिंग की अरब यात्रा पर क्यों है दुनिया की नजर - Punjab Kesari
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अमेरिका को आंख दिखा रहे सऊदी के लिए चीन बना खास! जिनपिंग की अरब यात्रा पर क्यों है दुनिया की नजर

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार को सऊदी अरब पहुंचने वाले हैं। जिनपिंग की सऊदी अरब की यात्रा

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग गुरुवार को सऊदी अरब पहुंचने वाले हैं। जिनपिंग की सऊदी अरब की यात्रा काफी मायने रखती है। वह ऐसे वक्त में सऊदी अरब जा रहे हैं, जब अमेरिका के साथ उसके रिश्ते अच्छे नहीं चल रहे हैं।बीते 80 सालों के इतिहास में यह पहला मौका है, जब सऊदी अरब ने अमेरिका को आंख दिखाई है।
बता दें कि चीन के रिश्ते भी अमेरिका के साथ निचले स्तर पर हैं। यूक्रेन पर रूस के हमले के बाद से यह तनाव और बढ़ा है क्योंकि चीन ने व्लादिमीर पुतिन सरकार का ही समर्थन किया है। सूत्रों के मुताबिक अपने सऊदी अरब दौरे में शी जिनपिंग चीन- अरब समिट में हिस्सा लेंगे। इसके अलावा चाइना-खाड़ी सहयोग परिषद की कॉन्फ्रेंस में भी शामिल होंगे।
सऊदी अरब लंबे समय से अमेरिका का सहयोगी 
सबसे जरुरी बात यह है कि खाड़ी सहयोग परिषद के तहत अरब और खाड़ी देशों के 14 शीर्ष नेता कॉन्फेंस में हिस्सा लेंगे। इससे समझा जा सकता है कि अरब और खाड़ी देशों में चीन किस तरह अपनी पैठ मजबूत करना चाह रहा है। ऐतिहासिक तौर पर चीन के रिश्ते इन देशों से बहुत अच्छे नहीं रहे हैं, जबकि सऊदी अरब लंबे समय से अमेरिका का सहयोगी रहा है। लेकिन बीते दिनों तेल के उत्पादन में कटौती करने के सऊदी अरब और रूस के फैसले पर अमेरिका बिफर गया था। खासतौर पर दोस्त कहे जाने वाले सऊदी अरब के अड़ियल रवैये पर अमेरिका ने उसके साथ अपने रिश्तों की समीक्षा की बात भी कही थी।
शी जिनपिंग के सऊदी अरब दौरे की चर्चा काफी समय से थी 
शी जिनपिंग का यह दौरा वैश्विक राजनीति के समीकरणों में बड़ा उलटफेर कराने वाला हो सकता है। एक अरब राजनयिक ने कहा कि शी जिनपिंग का दौरा मील का पत्थर साबित होगा। शी जिनपिंग के सऊदी अरब दौरे की चर्चा महीनों से चल रही थी, लेकिन अब तचक सऊदी अरब या चीन में से किसी ने भी इसकी पुष्टि नहीं की थी। अब दोनों ही सरकारों ने इसकी जानकारी दी है। गुरुवार को शी जिनपिंग दो दिन के दौरे पर सऊदी अरब पहुंचेंगे। सऊदी सरकार ने इस समिट की कवरेज के लिए मीडिया को आमंत्रण दिया है, जिसके बाद शी के दौरे की जानकारी बाहर आई।
सऊदी अरब ने रूस का समर्थन किया 
 तेल के उत्पादन में कटौती का फैसला सऊदी अरब और रूस ने लिया है। इस पर अमेरिका ने ऐतराज जताया था, लेकिन सऊदी अरब ने रूस का समर्थन किया और इस फैसले पर आगे बढ़ गया। इसके बाद अमेरिका ने उसके साथ रिश्तों की समीक्षा करने की बात कही। ऐसे में माना जा रहा है कि अमेरिका अरब क्षेत्र से अपनी सेनाएं घटा सरता है। यदि ऐसा होता है तो सऊदी अरब के सामने ईरान की सेना और यमन के विद्रोहियों के हमले का डर होगा, जिनसे अमेरिका सुरक्षा देने का दावा करता रहा है। 

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