अफगानिस्तान में तालिबान सरकार के आने के बाद से वहा के हालात बद से बदतर हो गए है जिस प्रकार तालिबान सरकार सत्ता में आई उसी से अंदाजा लगया जा सकता है यह सरकार मानवीय अधिकार को कितना महत्व देती है। तालिबान सरकार पर आतंकवादी गतविधियों का आरोप लगता रहा जिसे ये सरकार सिरे से नकारती रही। ये तालिबान का आतंक नहीं कहेंगे तो क्या कहेंगे जिसकी वजह से करीबन 70000 लोग देश को छोड़ कर ही चले गए थे। ये सरकार महिलाओ के अधिकारों के खिलाफ सख्त रेवेया अपनाती है ऐसे बहुत से संगठनों का कहना है।
विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने के उनके अनुरोध
अफगानिस्तान में विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों, महिला अधिकार कार्यकर्ताओं और धार्मिक मौलवियों ने देश में लड़कियों के लिए स्कूलों और विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने के लक्ष्य के साथ एक अभियान – अफगान लड़कियों की शिक्षा शुरू किया है। अभियान के आयोजकों के अनुसार, पिछले दो वर्षों में देश के स्कूलों और विश्वविद्यालयों को फिर से खोलने के उनके अनुरोध के बावजूद, कोई कार्रवाई नहीं की गई है।
लड़कियों के स्कूल जाने तक लड़ाई जारी
उन्होंने कहा कि वे तब तक अभियान चलाते रहेंगे जब तक लड़कियों को स्कूलों और विश्वविद्यालयों में जाने की अनुमति नहीं मिल जाती। एक मौलवी फ़ज़ल हादी वज़ीन ने कहा,अफगानिस्तान में लड़कियों की शिक्षा के लिए अभियान एक राष्ट्रीय पहल के रूप में शुरू किया गया है, और यह अभियान तब तक जारी रहेगा जब तक लड़कियों के लिए स्कूलों और विश्वविद्यालयों के दरवाजे नहीं खोले जाते। विश्वविद्यालय की व्याख्याता अबेदा मजीदी ने कहा, इस अभियान का लक्ष्य सार्वजनिक और निजी विश्वविद्यालयों में छठी कक्षा से ऊपर के छात्रों और महिला छात्रों के अधिकारों को सुनिश्चित करना है।
अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ा
इस बीच, कुछ लड़कियों ने कहा कि देश में छठी कक्षा से ऊपर की लड़कियों के लिए स्कूल बंद होने के बाद उन्हें अनिश्चित भविष्य का सामना करना पड़ा है।एक छात्र सेतारा ने कहा,अगर हम पढ़ाई नहीं करेंगे तो यह स्पष्ट है कि भविष्य में हमारे देश में न तो अच्छे डॉक्टर होंगे और न ही अच्छे शिक्षक होंगे। देश में छठी कक्षा से ऊपर की लड़कियों के लिए स्कूल 650 दिनों से अधिक समय से बंद हैं।