सूडान में अक्टूबर में हुए सैन्य तख्तापलट और उसके बाद प्रधानमंत्री अब्दुल्ला हमदोक को बहाल करने लेकिन आंदोलन को दरकिनार करने के खिलाफ रविवार को भारी संख्या में प्रदर्शनकारी राजधानी खार्तुम और देश के अन्य हिस्सों में सड़कों पर उतरे। प्रदर्शनों के जरिए उस विद्रोह की तीसरी वर्षगांठ को चिह्नित किया गया, जिसके चलते अप्रैल 2019 में लंबे समय से जारी तानाशाह शासक उमर अल-बशीर और उनकी इस्लामी सरकार के शासन का तख्तापलट किया गया।
इसके बाद सूडान लोकतंत्र के रास्ते पर आगे बढ़ा और फिर गत 25 अक्टूबर को हुए सैन्य तख्तापलट से एक बार फिर लोगों को विरोध-प्रदर्शन के लिए सड़कों पर उतरना पड़ा। रविवार को सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में राजधानी खार्तुम और अन्य शहरों में प्रदर्शनकारी सड़कों पर मार्च करते नजर आए। प्रदर्शनकारी सूडानी झंडा लहराते चल रहे थे। इसके अलावा कई प्रदर्शनकारी सफेद झंडा भी थामे दिखे जिस पर तख्तापलट के खिलाफ आवाज उठाने के दौरान जान गंवाने वालों की तस्वीरें छपी थीं।
प्रदर्शन से पहले सूडान प्रशासन ने खार्तुम में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किये थे ताकि वे सेना के मुख्यालय, राष्ट्रपति भवन और अन्य सरकारी इमारतों तक नहीं पहुंच सकें।
कैसी थी देश की सरकार?
पूर्व निरंकुश शासक उमर अल-बशीर को सत्ता से हटाए जाने के बाद, दो साल से अधिक समय से जारी लोकतंत्रिक सरकार बनाने के प्रयासों के बीच यह खबर सामने आई है। यह घटनाक्रम तब हुआ है, जब बुरहान सत्तारूढ़ अस्थायी परिषद् का नेतृत्व असैन्य सरकार को सौंपने वाले थे। अल-बशीर के सत्ता से हटने के तुरंत बाद से स्वायत्तशासी परिषद् सरकार चला रही थी, जिसमें सेना और नागरिक दोनों शामिल थे। उनके बीच सूडान में कई मुद्दों और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को अपनाने की गति पर काफी मतभेद थे। अमेरिका और यूरोपीय संघ ने सोमवार के घटनाक्रम पर चिंता जताई।