By Ritika
Aug 29, 2024
Source-Pexels
स्ट्रेस दो तरीके के होते हैं एक गुड स्ट्रेस और दूसरा बेड स्ट्रेस। हर एक व्यक्ति किसी परिस्थिति में सोच विचार करने के बाद ही फैसला लेता है। ऐसे में थोड़ा बहुत स्ट्रेस लेना सही रहता है
लेकिन अगर आप छोटी से छोटी बात के बारे में लगातार सोच रहें और उस परिस्थिति से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं और ये आपकी सेहत पर बुरा प्रभाव डाल रहा है तो ये बेड स्ट्रेस भी हो सकता है
एक्सपर्ट के मुताबिक, स्ट्रेस थोड़ा बहुत होना जरूरी है। लेकिन अगर स्ट्रेस ज्यादा हो जाता है तो ये सही नहीं होता है
गुड स्ट्रेस में व्यक्ति समझदारी और आराम से काम लेता है। वहीं बेड स्ट्रेस में व्यक्ति बस जल्दबाजी करता और उस परिस्थिति से बाहर निकलने के प्रयास करते है
इस कारण कई बार परिस्थिति ज्यादा खराब हो जाती है। अगर हम एक ही परिस्थिति के बारे में सोचते जा रहे हैं और उससे बाहर नहीं आ पा रहे हैं तो वो बेड स्ट्रेस बन सकता है
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर स्ट्रेस हमारी लाइफ के रूटीन और काम को इफेक्ट कर रहा है। जो हमारे फ्यूचर को इफेक्ट कर रहा है वो बेड स्ट्रेस में आता है
वहीं पास्ट लाइट या फ्यूचर को लेकर चिंता करते रहना भी बेड स्ट्रेस में आता है। अगर स्ट्रेस हमें मोटिवेट कर रहा है और हमें आगे बढ़ने के लिए उत्साहित कर रहा है
किसी मुश्किल या बुरी परिस्थिति से हमें बाहर निकलने में मदद कर रहा है। साथ ही अगर हम प्रेजेंट के बारे में ज्यादा सोच रहे हैं तो वो गुड स्ट्रेस कहलाता है
गुड स्ट्रेस में व्यक्ति को घबराहट नहीं होगी और पसीने नहीं आएंगे साथ ही व्यक्ति के अंदर कॉन्फिडेंस रहता है
वहीं बेड स्ट्रेस में व्यक्ति को घबराहट, पसीने आना और चलने में मुश्किल के अलावा कई तरह के लक्षण नजर आ सकते हैं