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By Aastha Paswan
Sep, 16, 2024
Source: Google
ब्लिंकिट का नाम आज हर जुबान पर है यह अपनी 'क्विक सर्विस' यानी 10 से 15 मिनट में सामान पहुंचाने के लिए जाना जाता है।
आज भले हर जुबान पर इसका नाम लेकिन क्या आपको पता है इसकी शुरुआत कब कैसे और किसने की।
2010 में पंजाब के रहने वाले अलबिंदर ढींडसा और आईआईटी बॉम्बे से पढ़े सौरभ कुमार अमेरिका में लॉजिस्टिक्स कंपनी में जॉब करते रहे थे। वहीं दोनों की बात हुई।
दोनों लड़के अपने काम से खुश नहीं थे। एक रोज दोनों ने सोचा कि वापस भारत आकर कुछ किया जाए। तब 2013 का साल बीत रहा था। अलबिंदर और सौरभ भारत आ गए।
दोनों ने देखा कि चावल-आटा, दूध-दही, सब्जी जैसी डेली यूज होने वाली चीजों को पहुंचाने के लिए कोई प्लेटफॉर्म नहीं है।
इसी समस्या को दूर करने के लिए उन्होंने 'ग्रोफर्स' की शुरुआत की जो फिर 'ब्लिंकिट' बन गया। 2022 में जोमैटो ने ब्लिंकिट को खरीदा।
पहले साल कंपनी को 2.8 लाख का नुकसान हुआ। अगले साल 2014-15 में 4 करोड़ का घाटा हुआ इस नुकसान की भारपाई और कंपनी को चलाने के लिए अब ग्रोफर्स को फंड जुटाए।
2023-24 में ब्लिंकिट का सालाना रेवेन्यू 769 करोड़ हो चुका है। कंपनी की वैल्यूएशन 13 बिलियन डॉलर यानी एक लाख करोड़ है।