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By Khushi Srivastava
Oct 13, 2024
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कभी जिंदगी एक पल में गुजर जाती है, कभी जिंदगी का एक पल नहीं गुजरता
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दौलत नहीं शोहरत नहीं, न वाह चाहिए, “कैसे हो?” बस दो लफ़्जों की परवाह चाहिए
पलक से पानी गिरा है, तो उसको गिरने दो, कोई पुरानी तमन्ना, पिंघल रही होगी
आप के बाद हर घड़ी हम ने आप के साथ ही गुज़ारी है
इतना क्यों सिखाए जा रही हो जिंदगी, हमें कौन से सदिया गुजारनी है यहां
बहुत छाले हैं उसके पैरों में कमबख्त उसूलों पर चला होगा
तकलीफ़ ख़ुद की कम हो गयी, जब अपनों से उम्मीद कम हो गईं
कौन कहता है हम झूठ नहीं बोलते , एक बार खैरियत पूछ कर तो देखो