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ये हैं शिवजी के 5 प्रतीक

By Ritika

Aug 05, 2024

भगवान शिव को देवों के देव महादेव, भोलेबाबा, और शंकर भगवान जैसे कई नामों से जाना जाता हैं

Source-Pexels Source-Google Images

उनका स्वरुप भी सबसे निराला है। भगवान शिव की तीन आंखें हैं और गले में वह रूद्राक्ष के साथ-साथ सर्प भी धारण करते हैं

वह शरीर पर भस्म लगाते हैं, एक हाथ में डमरूप पकड़े हैं तो दूसरे में त्रिशूल 

ऐसे में आज शिवजी के पांच प्रतीकों के बारे में जानते हैं। शिव जी के पांच प्रतीक डमरू, त्रिशूल, त्रिपुंड, भस्म और रुद्राक्ष हैं

डमरू भगवान शिव ही नृत्य और संगीत के प्रवर्तक हैं। शिव जी के डमरू के अंदर सातों सुर है और वर्णमाला भी है। शिव जी का डमरू बजाना आनंद और मंगल दिखाता है

त्रिशूल दुनिया की कोई भी शक्ति हो, दैहिक, दैविक या भौतिक, शिवजी के त्रिशूल के आगे नहीं टिक सकती है। शिव का त्रिशुल प्रत्येक व्यक्ति को उसके कर्म के हिसाब के दंड देता है

त्रिपुंड सतोगुण, रजोगुण और तमोगुण तीनों ही गुणों को नियंत्रित करने के कारण, शिव जी त्रिपुंड तिलक का इस्तेमाल करते हैं। त्रिपुंड सफेद चंदन का होता है

भस्म भगवान शिव के लिए ये दुनिया, मोह-माया सभी राख बराबर है। सबकुछ एक दिन भस्मीभूत होकर समाप्त हो जाएगा। भस्म इसी का प्रतीक है। शिव जी का भस्म से भी अभिषेक होता है

रुद्राक्ष रुद्राक्ष का अर्थ होता है- रूद्र का अक्ष। माना जाता है कि रूद्राक्ष की उत्पत्ति भगवान शिव के अश्रुओं से हुई है