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“इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया…” पढ़िए मिर्जा गालिब के शानदार शेर

By Khushi Srivastava

Oct 05, 2024

इश्क़ ने 'ग़ालिब' निकम्मा कर दिया  वर्ना हम भी आदमी थे काम के 

Source: Pinterest

इस सादगी पे कौन न मर जाए ऐ ख़ुदा लड़ते हैं और हाथ में तलवार भी नहीं 

उन के देखे से जो आ जाती है मुँह पर रौनक़ वो समझते हैं कि बीमार का हाल अच्छा है

इश्क़ पर ज़ोर नहीं है ये वो आतिश 'ग़ालिब' कि लगाए न लगे और बुझाए न बने

रगों में दौड़ते फिरने के हम नहीं क़ाइल जब आँख ही से न टपका तो फिर लहू क्या है

न था कुछ तो ख़ुदा था कुछ न होता तो ख़ुदा होता डुबोया मुझ को होने ने न होता मैं तो क्या होता 

हर एक बात पे कहते हो तुम कि तू क्या है तुम्हीं कहो कि ये अंदाज़-ए-गुफ़्तगू क्या है

हमको मालूम है जन्नत की हक़ीक़त लेकिन दिल के खुश रखने को 'ग़ालिब' ये ख़याल अच्छा है