भारत में अंगदान की प्रक्रिया इस बात पर निर्भर करती है कि आप अपने जीवनकाल में अंगदान कर रहे हैं या अपनी मृत्यु के बाद
अपने जीवनकाल में अगर आप अपने अंग दान करते हैं तो, अंग और ऊतक दान फ़ॉर्म भरना और फ़ॉर्म पर दो गवाहों के हस्ताक्षर करवाना, जिसमें एक करीबी रिश्तेदार भी शामिल हो
फ़ॉर्म को संबंधित संगठन को जमा करना, अंगदानकर्ता कार्ड प्राप्त करना इसके लिए आप NOTTO हेल्पलाइन पर कॉल कर सकते हैं।
अगर आपके निधन के बाद आपका परिवार आपके अंगदान करना चाहता है तो आपको अस्पताल में ब्रेन डेड घोषित करने के बाद आपका परिवार लिखित सहमति देता है
ब्रेन डेथ तब होती है जब किसी मरीज की ब्रेन एक्टिविटी नहीं होती है और वह खुद से सांस नहीं ले सकता है। हृदय की मृत्यु से मरने वाले व्यक्ति के अंग दान नहीं किए जा सकते।
भारत में मानव अंग प्रत्यारोपण अधिनियम (THOA) 1994 के तहत अंग दान की अनुमति है।
THOA अंगों के निष्कासन, भंडारण और प्रत्यारोपण को नियंत्रित करता है और मानव अंगों की व्यावसायिक बिक्री को रोकता है।
अंगों को मृत्यु के बाद, कुछ घंटों के भीतर निकाल लिया जाता है
THOA के जरिये दान किये हुए अंगों को जरूरतमंद व्यक्ति तक पहुंचा दिया जाता है