कभी ख़ुद पे कभी हालात पे रोना आया
बात निकली तो हर इक बात पे रोना आया
ग़म और ख़ुशी में फ़र्क़ न महसूस हो जहां
मैं दिल को उस मक़ाम पे लाता चला गया
अपनी तबाहियों का मुझे कोई ग़म नहीं
तुम ने किसी के साथ मोहब्बत निभा तो दी
Faiz Ahmad Faiz Poetry: “दुनिया ने तेरी याद से…” फ़ैज़ अहमद फ़ैज़ के बेहतरीन शेर
ले दे के अपने पास फ़क़त इक नज़र तो है
क्यूं देखें ज़िंदगी को किसी की नज़र से हम
हम ग़म-ज़दा हैं लाएं कहां से ख़ुशी के गीत
देंगे वही जो पाएंगे इस ज़िंदगी से हम
बर्बादियों का सोग मनाना फ़ुज़ूल था
बर्बादियों का जश्न मनाता चला गया
माना कि इस ज़मीं को न गुलज़ार कर सके
कुछ ख़ार कम तो कर गए गुज़रे जिधर से हम
पेड़ों के बाज़ुओं में महकती है चांदनी
बेचैन हो रहे हैं ख़यालात क्या करें