अब जुदाई के सफ़र को मिरे आसान करो
तुम मुझे ख़्वाब में आ कर न परेशान करो
चलती फिरती हुई आंखों से अज़ाँ देखी है
मैं ने जन्नत तो नहीं देखी है मां देखी है
तुम्हारी आंखों की तौहीन है ज़रा सोचो
तुम्हारा चाहने वाला शराब पीता है
Sahir Ludhianvi Poetry: “बेचैन हो रहे हैं…” साहिर लुधियानवी के मशहूर शेर
सो जाते हैं फ़ुटपाथ पे अख़बार बिछा कर
मज़दूर कभी नींद की गोली नहीं खाते
किसी को घर मिला हिस्से में या कोई दुकाँ आई
मैं घर में सब से छोटा था मिरे हिस्से में मां आई
जब भी कश्ती मिरी सैलाब में आ जाती है
माँ दुआ करती हुई ख़्वाब में आ जाती है
तुम्हें भी नींद सी आने लगी है थक गए हम भी
चलो हम आज ये क़िस्सा अधूरा छोड़ देते हैं
तुम्हारा नाम आया और हम तकने लगे रस्ता
तुम्हारी याद आई और खिड़की खोल दी हम ने