पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय ने धरती के तापमान में वृद्धि पर ध्यान दिया है और क्षेत्रीय जलवायु परिवर्तन के सभी पहलुओं को समाहित करते हुए देश भर में जलवायु परिवर्तन के प्रभाव का आकलन किया है।
इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) के अनुसार, धरती के दीर्घकालिक औसत तापमान को 1.5 डिग्री सेल्सियस सीमा से नीचे रखने के लिए,
दुनिया को वर्ष 2050 तक शुद्ध शून्य (नेट जीरो) उत्सर्जन के लक्ष्य को करना होगा। जलवायु परिवर्तन की समस्या के लिए जिम्मेदार कार्बन डाईआक्साइड उत्सर्जन में अधिक योगदानकर्ता नहीं होने के बावजूद,
भारत ने इस वैश्विक मुद्दे को हल करने के प्रयासों की अपनी उचित भूमिका से अधिक सक्रिय रुख का प्रदर्शन किया है।
भारत सरकार विभिन्न कार्यक्रमों और पहलों के माध्यम से जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए अपनी प्रतिबद्धता में दृढ़ है,
जिसमें जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रीय कार्य योजना (एनएपीसीसी) और जलवायु परिवर्तन पर राज्य कार्य योजना (एसएपीसीसी शामिल है।
इन योजनाओं में सौर ऊर्जा, ऊर्जा दक्षता, जल संरक्षण, सतत कृषि, स्वास्थ्य, हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण, सतत आवास विकास, हरित भारत और जलवायु परिवर्तन के लिए ज्ञान जैसे क्षेत्रों में विशिष्ट मिशन शामिल हैं।