उनके पिता “श्री राधा कृष्ण” उर्दू और फ़ारसी के अध्यापक थे और उनकी माता श्रीमती “गुलाबी देवी” बहुत ही घार्मिक प्रवृति की महिला थी।
लाला लाजपत राय की प्रारंभिक शिक्षा अपने गांव और लुधियाना व अंबाला के मिशन विद्यालय से शुरू हुई।
इसके बाद वर्ष 1880 में उन्होंने लाहौर के सरकारी कॉलेज में प्रवेश लिया साथ ही लॉ कॉलेज में भी दाखिला ले लिया। फिर उन्होंने वर्ष 1883 में मुख्तारी के लिए लाइसेंस लिया और लुधियाना के राजस्व न्यायलय में वकालत आरंभ कर दी।
इसके बाद लाला लाजपत राय (Lala Lajpat Rai) ने वर्ष 1886 में ‘पंजाब विश्वविद्यालय’ से प्लीडर की परीक्षा पास की और वकील की अहर्ता प्राप्त करने के बाद हिसार में अपनी वकालत शुरू कर दी।
इसके बाद भगत सिंह, सुखदेव ,राजगुरु ने लाला लाजपत राय की मृत्यु का बदला लेने का फैसला किया जिसमें ‘चंद्रशेखर आजाद’ ने उनका साथ दिया।
इन लोगों ने 17 दिसंबर, 1928 को लाहौर (वर्तमान पाकिस्तान) के पुलिस अधीक्षक ‘जे.पी. सॉन्डर्स’ के दफ्तर को चारो ओर से घेर लिया और राजगुरु ने सॉन्डर्स पर गोली चला दी, जिससे उसकी मौत हो गई।
साइमन कमीशन के विरोध प्रदर्शन में ‘जे.पी. सॉन्डर्स’ द्वारा किए गए लाठी चार्ज के दौरान घायल होने से उनकी मृत्यु हुई थी।
लालाजी ने साइमन कमीशन के विरोध में ‘साइमन वापिस जाओं’ का प्रसिद्ध नारा दिया था।