होली का त्योहार भारतीय संस्कृति का अभिन्न हिस्सा है, जो उल्लास, खुशी और रंगों के पर्व के रूप में मनाया जाता है।
यह दिन न केवल रंगों के खेल के लिए प्रसिद्ध है, बल्कि यह एक-दूसरे से गले मिलने, बुरा-भला भूलने और प्रेम तथा भाईचारे का संदेश देने का अवसर भी है।
जब होली के रंगों की बात होती है, तो हम अक्सर यह नहीं सोचते कि इस त्योहार पर रंग खेलने की कहानी और प्राचीन समय से आधुनिक युग तक रंगों का इतिहास क्या है?
प्राचीन भारत में रंगों का इस्तेमाल केवल सौंदर्य और खुशी के लिए नहीं किया जाता था, बल्कि आयुर्वेद और उपचार में भी उनका अहम स्थान था।
इन रंगों का शरीर और मन पर गहरा प्रभाव माना जाता था।
जैसे लाल रंग ऊर्जा और उत्तेजना का प्रतीक था, नीला रंग शांति और संतुलन का, हरा रंग ताजगी और हरियाली का, और पीला रंग खुशी और मानसिक शांति का प्रतीक था।
ये सब रंग भारतीय जीवन का हिस्सा रहे हैं, और इनका उपयोग न केवल त्योहारों में, बल्कि चिकित्सा और मानसिक उपचार में भी किया जाता था।
प्राचीन काल में भारतीय सभ्यता में रंगों का इस्तेमाल धार्मिक, सांस्कृतिक और चिकित्सा उद्देश्यों के लिए किया जाता था।
350 से ज्यादा फिल्में, 3 नेशनल अवॉर्ड, अब मिथुन चक्रवर्ती को मिला दादासाहेब फाल्के पुरस्कार-web