प्रयागराज में हो रहे महाकुंभ में करोड़ों श्रद्धालुओं और साधुओं ने अमृत स्नान के लिए डुबकी लगाई
लेकिन महाकुंभ में अघोरी नहीं जाते हैं और इसके पीछे एक खास वजह है
अघोरी साधुओं का कोई अखाड़ा नहीं होता है
अघोरी साधु एकांत में साधना करते हैं समाज से दूर रह कर। उनका अधिकांश समय श्मशान घाटों व सुनसान जगहों या जंगलों में बीतता है
वहीं दूसरी ओर महाकुंभ में करोड़ों की भीड़ होती है जो अघोरियों को उनकी साधना में बाधा लगती है
अघोरियों का ध्यान बाहरी समारोहों से अधिक, आंतरिक साधना व तांत्रिक प्रक्रियाओं पर होता है
दूसरी ओर महाकुंभ में, मुख्य ध्यान पवित्र नदियों में स्नान और पूजा पर होता है
अघोरियों का मानना होता है कि मोक्ष का अनुभव बाहरी स्नान से नहीं, बल्कि आंतरिक ध्यान और तांत्रिक साधना से होता है
अघोरी बाबा का साधना मार्ग पारंपरिक धार्मिक गतिविधियों से अलग होता है और इसी कारण वे महाकुंभ जैसे आयोजनों से दूर रहते हैं
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