आज दुनियाभर में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जा रहा है। यह दिन महिलाओं को सम्मान देने का है और समाज में महिलाओं की भागीदारी को और बढ़ावा देने का है
लेकिन क्या आपको पता है कि महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई। दरअसल इस दिन की शुरुआत के पीछे कई महिलाओं का योगदान है, जिन्होंने समाज में बराबर हक की लड़ाई लड़ी और जीती
International Women’s Day: विभिन्न क्षेत्रों में भारत की प्रथम महिलाओं का योगदान
8 मार्च 1917 को पहले विश्वयुद्ध के समय हजारों कामकाजी महिलाएं रूस में सड़कों “पर रोटी और शांति” का मांक के चलते प्रदर्शन करने लगीं थी। जब रूस में महिलाओं ने अपनी मागों को पूरा करने के लिए प्रदर्शन किया तो बाद में सम्राट निकोलस को अपनी गद्दी छोड़नी पड़ी। जिसके बाद रूस में बनी एक अस्थायी सरकार ने महिलाओं को पहली बार वोट डालने का हक दिया था
इसके बाद उसी दिन से हर साल 8 मार्च को महिलाओं के संघर्ष और उनके अधिकारों के लिए लड़ाई लड़के को रूप में याद किया जाता है। संयुक्त राष्ट्र ने भी साल 1977 में इस दिन को अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के तौर पर मनाने के लिए आधिकारिक रूप से मान्यता दी थी
इसके अलावा साल 1908 में करीब 15 हजार महिलाओं न्यूयॉर्क में अच्छी सैलरी, महिलाओं को वोट डालने की मांग को लेकर परेड निकाली थी
इसके बाद महिलाओं के लिए अमेरिका की सोशलिस्ट पार्टी ने पहला राष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का ऐलान किया था
साल 1910 में जर्मन में भी वामपंथी क्लारा ज़ेटकिन ने भी डेनमार्क में सभी कामकाजी महिलाओं के सम्मेलन में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाने का सुझाव सामने रखा था
साल 1911 में ऑस्ट्रिया, जर्मनी, डेनमार्क और स्विट्ज़रलैंड में पहला अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया था
महिला दिवस महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण इसलिए भी है क्योंकि आज भी महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम वेतन मिलता है और आज भी 10 में से 1 महिला बहुत गरीबी में अपनी जीवन जी रही है
आज भी कई महिलाएं अपने हक की लड़ाई लड़ रही है और हर 3 में से 2 महिला कहीं न कहीं यौन हिंसा का सामना कर रही है और आज भी कई महिलाएं दुनियाभर में पुरुषों की तुलना में अनपेड काम कर रही हैं
International Women’s Day Wishes: महिला दिवस पर इन संदेशों से करें महिलाओं को सम्मानित