लाल खून होने के बावजूद नसें क्यों दिखती है नीली-हरी? क्या बदल जाता है खून का रंग, जानिए इस पर मेडिकल साइंस की राय - Punjab Kesari
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लाल खून होने के बावजूद नसें क्यों दिखती है नीली-हरी? क्या बदल जाता है खून का रंग, जानिए इस पर मेडिकल साइंस की राय

हमारा शरीर भी किसी पहेली से कम साबित नहीं होता है। आपने शायद अपने शरीर में ऐसी बहुत सी चीज़ें देखी होंगी जो लगती तो नार्मल हैं लेकिन उनमें काफी हैरान कर देने वाले और अलग तर्क होते हैं। क्या आपने कभी उस लाल रक्त पर ध्यान दिया है जो आपके हाथों की नसों में लगातार बहता रहता है?

Untitled Project 2023 09 29T145240.415जब आप को कभी चोट लगती हैं, या फिर कहीं पर खरोंच आती है या आप घायल होते हैं तो इन नसों से ही लाल रंग का खून निकलते हुए दिखाई देता है। विज्ञान इस बारे में क्या कहता है कि ये नसें हमेशा नीले या बैंगनी रंग की क्यों दिखाई देती हैं? तो आइए आज इसी पर आपको बताते हैं कुछ दिलचस्प बातें।

क्या है आखिर ये गुत्थी?

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मेडिकल साइंस के अनुसार खून हमेशा लाल ही होता है। रक्त तक पहुंचने वाली ऑक्सीजन की मात्रा यह तय करेगी कि यह लाल रंग का कौन सा शेड होगा। धारणाओं के अनुसार, जिस खून में ज्यादा ऑक्सीजन होता है वह अधिक लाल होता है, जबकि जिस खून में कम ऑक्सीजन होता है वह नीला होने लगता है। लेकिन यह सच नहीं है। लाल रक्त कोशिकाओं (Red Blood Cells) में वह ऑक्सीजन होती है जो रक्त में पाई जाती है। लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद हीमोग्लोबिन भी इसे छुपाता है। सांस लेने के दौरान लाल रक्त कोशिकाओं में ऑक्सीजन का बहाव होता है, जिसके कारण उनका रंग गहरा हो जाता है। हालाँकि, जैसे-जैसे खून शरीर के अन्य भागों में बहता है, ऑक्सीजन का लेवल वैसे-वैसे गिरने लगता है। क्योंकि इससे शरीर के विभिन्न अंगों को ऑक्सीजन मिलती है। फिरये सेल्स कार्बन डाइऑक्साइड से भरने लगती हैं। हालाँकि, ये भी खून का रंग नहीं बदल सकते।

खून का रंग कभी नहीं बदलता है

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वाशिंगटन विश्वविद्यालय के प्रोफेसर डॉ. क्लेबर फर्ट्रिन का दावा है कि शरीर के सभी ऊतकों मतलब की टिश्शू तक ऑक्सीजन की डिलीवरी के बाद यह खून फेफड़ों में लौट आता है। फिर भी खून का रंग नहीं बदलता है। इसका सीधा मतलब यह है कि मानव खून का रंग कभी नीला या काला नहीं होता। बस रंग की शेड में थोड़ा बदलाव आता रहता है।

नसों का नीला दिखना वेवलेंथ पर निर्भर

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यह केवल एक भ्रम है कि नसें नीली दिखाई देती हैं। इसके बावजूद कि नसें त्वचा की बहुत पतली परत से ढकी होती हैं। रेटिना की वेवलेंथ तय करती है कि हम क्या देख सकते हैं। हमारी त्वचा कई परतों से बनी होती है जो वेवलेंथ पर प्रकाश बिखेरती है, जिससे रेटिना भ्रमित हो जाती है। प्रकाश की नीली और हरी वेवलेंथ उनके लाल वेवलेंथ की तुलना में लगभग हमेशा छोटी होती हैं। इसके कारण, लाल प्रकाश हमारी त्वचा द्वारा अवशोषित कर लिया जाता है, जबकि हमारी रेटिना नीली या हरी रोशनी से प्रभावित हो जाता है। यह बताता है कि लाल रक्त होने के बावजूद हमें नसें नीली क्यों दिखाई देती हैं।

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