प्रिंसिपल से लेकर शिक्षकों और छात्रों समेत सभी को स्कूल के एक नियम का पालन करना होता है। उनमें से एक रूल है पेन का इस्तेमाल। जहां टीचर लाल स्याही वाले पेन का इस्तेमाल करते हैं, वहीं छात्र सिर्फ नीले और काले पेन का ही इस्तेमाल करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि यह अंतर क्यों है और यह कैसे चलन में आया?
वैसे तो इन सवालों का कोई निश्चित उत्तर नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार, छात्र सफेद कागज पर लिखते समय नीले या काले पेन का उपयोग करते हैं। यह एक कंट्रास्ट बनाता है जो बच्चे और टीचर को शब्दो के बीच आसानी से अंतर को बताता है। हल्की स्याही का उपयोग करने से इसे पढ़ने में और मुश्किल होगी।
अंतर पता करने में आसानी
जहां तक टीचरों की बात है बच्चों की गलतियां सुधारने के लिए, अगर टीचर भी नीले या काले रंग के पेन का इस्तेमाल करते है तो उनके बीच ये साफ़ करना की किस की कौन से राइटिंग है ये पकड़ना मुश्किल हो जाएगा। हो सकता है कि अगर सभी स्याही या काला ही हो तो अंतर पता नहीं चलने के कारण कोई गलती भी हो सकती है।
यही कारण है कि शिक्षक नीले या काले रंग के बजाय लाल पेन का उपयोग करते हैं, एक रंग जो हल्का होता है फिर भी एक ही कागज पर आसानी से पहचाना जा सकता है। लेकिन लाल और कोई अन्य रंग क्यों नहीं?
बाजार में और भी पेन
बाजार में आमतौर पर उपलब्ध पेन काले, नीले, लाल, हरे, गुलाबी, बैंगनी या भूरे रंग के होते हैं। नीले और काले रंग के विपरीत बैंगनी और भूरे रंग बहुत गहरे हैं। दूसरी ओर गुलाबी रंग कुछ ज्यादा ही हल्का है। जब लाल और हरे रंग के बीच चयन करने की बात आती है। हमारी आंखें इसे हरे रंग से पहले समझती हैं और इसलिए, शिक्षकों और परीक्षकों के लिए छात्रों को चिह्नित करने और उनके होमवर्क की जांच करने के लिए लाल स्याही वाले को ही सबसे अच्छा माना जाता है।
2013 के एक अध्ययन से पता चला है कि शिक्षकों द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले लाल पेन से छात्रों में गलत धारणा पैदा होती है। इसके बाद, स्कूल के माहौल में नकारात्मकता को कम करने के लिए दुनिया के कई हिस्सों में लाल पेन पर प्रतिबंध लगा दिया गया।