कहते हैं हर जगह के अपने कुछ राज़ होते हैं किसी के छोटे तो किसी के बड़े। शहरी इलाको में तो फिर भी ये सब काफी कम देखने और सुनने को मिलता हैं लेकिन यही बात कि जाये गाँवो की या जिलों की तो यहां ये सब काफी आम बात हैं। मानो जैसे यहां के लोगो के लिए तो ये बात कोई ख़ास बड़ी हैं ही नहीं लेकिन बाहर से आने वाले किसी भी शहरी इंसान के लिए ये बात कभी छोटी नहीं हो सकती।
ऐसे ही एक राज़ से आज हम आपको मिलवाने जा रहे हैं जो डूंगरपुर से 10 किलोमीटर से दूर मेडिकल कॉलेज के पास एक ऐसी सड़क का हैं जहां सड़क किनारे पत्थरों का ढेर लगा रहता हैं। लेकिन आखिर ऐसा क्यों? कहा जाता हैं कि यहां आने जाने वाला हर व्यक्ति को यहां पत्थर चढ़ाना पड़ता हैं। खासतौर पर रात को इस सड़क से गुज़रने वालो को तो ये प्रथा मानो निभानी ही पड़ती हैं। क्योकि रात में इस सड़क से गुज़रने वालो का कहना हैं कि ऐसा करने से यहाँ कोई सड़क हादसा नहीं होता हैं। ज़रा सोचिये मात्र एक पत्थर चढाने से कैसे टल सकता हैं कोई सड़क हादसा?
पुरानी कहानियो से जुड़ा हैं ये किस्सा
डूंगरपुर के थाणा गांव में मेडीकल कॉलेज के पास रास्ते में पत्थरों का ढेर आपको हर समय देखने को मिलेगा। क्योकि ज़रा सोचिये यहां से दिन-रात न जाने कितने लोग निकलते होंगे तो पत्थरो की तादाद कितनी बढ़ जाती होगी। और ढेर तो इतना की मानों जैसे पत्थरों कारखाना चल रहा हो। लोगो की मान्यता यहां इतनी हैं कि देर रात से गुज़रने के बावजूद भी लोग पहले यहां रुकते हैं और फिर पत्थर फेंकते हैं।
हालात अब यूँ हैं कि सिर्फ इस ढेर के अलावा आपको और कही से भी पत्थर देखने को नहीं मिलेगा कई लोग तो खुद अपने पास से पत्थर लाते हैं और फिर यहां फेंककर जाते हैं। इन पत्थरो के खेल के साथ कई पुरानी कहानियां भी जुडी हुई हैं। लोग कहते हैं कि, ‘एक भला आदमी था जिसने की कर्ज ले रखा था. जब कर्जदार ने उसे पैसे के लिए उसे परेशान किया तो इस जगह एक पेड़ के नीचे बैठा हुआ था और तब उसकी मौत हो गई.’
रात वालो के लिए रास्ता नहीं हैं सुरक्षित
जिसके बाद से हर रात इन पेड़ो की परछाई के पीछे उस शख्स के दिखने की कहानियां बताई जाती हैं। और बस तभी से ग्रामीणों ने उसकी आत्मा की शांति के लिए बड़ा हवन करवाया और फिर अचानक आसमान से उस पूजा के दौरान पत्थर बरसने लगे। तब से लोगों ने यहां पत्थर चढ़ाना शुरू कर दिया। इतना ही नहीं बल्कि एक और कहानी इसको लेकर यहां के लोगों के मुँह से सुनने को मिलती हैं कि पहले ये सड़क एक्सीडेंट जॉन हुआ करती थी। आए दिन यहां पर सड़क हादसे होने की खबरे आती रहती थी। इसी जगह एक आदमी की सड़क हादसे में मौत भी हो गई थी। जिसके बाद ठीक इसी जगह उसकी समाधी बनाई गई। जिसके बाद से ही यहां पर पत्थर चढ़ाने की प्रथा का चलन शुरू कर दिया गया।
वहीं कुछ लोगों कहते है कि रात में गुजरने वाले लोगों के लिए ये रास्ता सुरक्षित नही है. ऐसे में अनहोनी से बचने के लिए यहां के लोगों पत्थर चढ़ाते है।