विनोद खन्ना ऐसे एक्टर थे जिन्होंने अपने करियर की शुरूआत बतौर खलनायाक के रूप में किया था। 70 की उम्र में दुनिया को अलविदा कह गए विनोद खन्ना की 27 अप्रैल को पहली डेथ एनिवर्सरी है। आज भले ही वह हमारे बीच नहीं हैं लेकिन अपनी फिल्मों के जरिए वह सदा अमर रहेंगे। उनका ब्लैडर कैंसर की वजह से निधन हो गया था। 1968 में आई पहली मन की मीत हिट होने के बाद विनोद खन्ना के पास फिल्मों की लाइन लग गई और एक के बाद लगातार तीन फिल्में विनोद खन्ना के झोली में आ गिरी। ‘आन मिलो सजना’, ‘मेरा गांव मेरा देश’, ‘सच्चा झूठा’ जैसी फिल्मों में विनोद खलनायक की भूमिका में नजर आए। हिट होने के बाद भी विनोद को प्रसिद्धी नहीं मिली।
उसके बाद विनोद गुलजार की फिल्म मेरे अपने में नजर आए, इस फिल्म के साथ गुलजार निर्देशक के रूप में करियर की शुरूआत की थी। अपने करियर में उन्होंने करीब 150 फिल्मों में काम किया।
फिल्म ‘कुर्बानी’ के लिए 1981 में उन्हें बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड मिला था। 1999 में वो लाइफ टाइम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाजे गए थे। वो भाजपा से जुड़े और 1999 में चुनाव जीतने के बाद उन्हें पर्यटन, विदेश राज्यमंत्री जैसे पद मिले।
एक जमाने में बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर कहे जाने वाले विनोद खन्ना की यह हालत देखकर सभी हैरान हो गए थे। फिल्म इंडस्ट्री से लेकर उनके फैंस उन्हें इस हालत में देखकर असमंजस में पड़ गए थे। फोटो में वह काफी बीमार और दुबले-पतले दिख रहे थे। उन्हें शरीर में पानी की कमी की वजह से अस्पताल में दाखिल किया गया था।
मौत से पहले एक्टर और सांसद विनोद खन्ना की जो फोटो इंटरनेट पर वायरल हुई थी उसे देखकर उनके निधन की अफवाह भी उड़ा दी गई। झूठी खबर इस तरह तेजी से फैली थी कि मेघालय बीजेपी के नेताओं ने तो उनको दो मिनट का मौन रखकर श्रद्धांजलि तक दे दी थी।
मेघालय की राजधानी शिलॉन्ग में स्वच्छ भारत अभियान के एक कार्यक्रम के दौरान विनोद खन्ना के लिए दो मिनट का मौन रखा गया। हालांकि बाद में राज्य के पार्टी महासचिव डेविड खरसाती को बताया गया कि वे अभी जीवित हैं, तो उन्होंने आनन-फानन में एक बयान जारी करते हुए माफी मांगी थी।
बता दें कि सुनील दत्त के जरिए हुई बॉलीवुड में एंट्री हुई थी ।विनोद की सुनील दत्त से एक पार्टी में मुलाकात हुई थी। उस वक्त सुनील के छोटे भाई सोम दत्त अपने होम प्रोडक्शन में ‘मन का मीत’ बना रहे थे। इसमें सुनील दत्त को अपने भाई के किरदार के लिए किसी नए एक्टर की तलाश थी।
विनोद खन्ना की पर्सनैलिटी, ऊंची कद-काठी को देखकर सुनील दत्त ने उन्हें वह रोल ऑफर किया। यह फिल्म 1968 में रिलीज हुई और बॉलीवुड में विनोद खन्ना की एंट्री हुई।
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