देसी आवारा कुत्ते बने उत्तराखंड पुलिस की शान, लाखों का काम हजारों में करते हैं - Punjab Kesari
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देसी आवारा कुत्ते बने उत्तराखंड पुलिस की शान, लाखों का काम हजारों में करते हैं

लाखों की तद्दाद में आवारा कुत्ते हिंदुस्तान की सड़काें पर घूमते हैं। अावारा कुत्तों से कुछ लोग गलियों

लाखों की तद्दाद में आवारा कुत्ते हिंदुस्तान की सड़काें पर घूमते हैं। अावारा कुत्तों से कुछ लोग गलियों में बचकर भाग रहे हैं तो कुछ पत्‍थर और डंडों से उन्हें पीटते हुए दिखाई देते हैं। इतना ही नहीं कुछ ऐसे भी लोग हैं जो गाड़ियों से इन बेजुबान को बांधकर सड़कों पर दौड़ाते हैं। 
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आवारा कुत्ते की जब लोग एनिमल वेलफेयर में शिकायत दर्ज कराते हैं तो कुत्तों को पकड़कर कर्मचारी शेल्टर होम  में डाल देते हैं। उत्तराखंड पुलिस ने आवारा कुत्तों के साथ कुछ खास काम किया है। कुत्तों को इंसान का वफादार दोस्त कहा जाता है और उन्हें एक जिम्मेदारी उत्तराखंड पुलिस ने दी है। जुर्म से लड़ने की जिम्मेदारी कुत्तों को दी है। 
बेहतर हुए साबित नामी नस्लों के मुकाबले

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इस तरह का प्रयास देश में पहली बार किया गया है। सड़क पर घूमने वाले आवारा कुत्तों को उत्तराखंड पुलिस ने अपनी टीम का हिस्सा बना लिया है। डॉग स्‍क्वॉड में कुत्तों को भर्ती किया गया है। कुत्तों को ट्रेनिंग दी और नतीजे जाे सामने आए हैं उसने सबको हैरान कर दिया है। विदेश नस्लों के महंगे कुत्तों की तुलना में यह कुत्ते बेहतर साबित हुए हैं। 
शामिल किया पुलिस ने श्वान दल में

उत्तराखंड पुलिस ने अपने ट्विटर अकांउट पर बीते रविवार को तस्वीरें पोस्ट करते हुए कैप्‍शन में लिखा, गलियों में घूमने वाले आवारा डॉगी, आज #UttarakhandPolice के श्वान दल की शान बने हुए हैं। देश में पहली बार यह प्रयोग किया है उत्तराखंड पुलिस ने। सड़कों पर आवारा घूमने वाले डॉगी को पुलिस की ट्रोनिंग दी तो वह नामी नस्लों के लाखों रुपए के दाम वाले डॉगी से कहीं आगे निकले। 
करतब देखिए जांबाज कुत्तों के
सोशल मीडिया पर एक वीडियो उत्तराखंड पुलिस ने साझा किया है। देसी नस्ल का एक कुत्ता इस वीडियो में नजर आ  रहा है औरयह पुलिस का स्निफर डॉग है। इसका मतलब है कि सूंघकार अपराध और अपराधियों का यह डॉग पता लगाता है। 

बता दें कि पुलिस ने कहा है कि यह कुत्ते ट्रेनिंग के बाद विदेशी नस्ल से बेहतर साबित हो रहे हैं। इस बात के बाद देश के दूसरे हिस्सों की पुलिस के लिए यह खुशखबरी है। दरअसल विदेशी नस्ल के कुत्तों की खरीद और देखभाल में लाखों रुपए का खर्च आ जाता है। 
ऐसा करना चाहिए देश की बाकी राज्यों को भी

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भारत देेश के बाकी राज्यों में इस पहल को लाना चाहिए। हालांकि आवारा कुत्तों का भी थोड़ा भला हो जाएगा। साथ ही लोगों आराम से सड़कों पर चल पाएंगे और इन बेजुबान जानवरों से नहीं डरेंगे। 

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