आज के समय में जीवन व्यतीत करने के लिए चाहे कितने भी कमा लो कुछ न कुछ कम पड़ ही जाते हैं। तो सोचिये सिर्फ 1500 रुपये में वर्तमान समय में जीवन यापन करना सम्भव है क्या? जी हां हम शीलगांव के एक ऐसे परिवार की बात कर रहें है जिनमें एक विकलांग बेटा एक विधवा औरत व तीन छोटे-छोटे बच्चे व एक दिव्यांग दादा व कमजोर दादी शामिल है। इनके परिवार की हालात ऐसी कि एक वक्त की रोटी की हमेशा चिंता बनी रहती है। इस परिवार के पास जीवन यापन करने के लिए पर्याप्त अनाज तक नहीं।
बेटे की मृत्यु के बाद इस परिवार के लिए जीवन यापन करना बड़ा कठिन हो गया है. क्योंकि परिवार में कोई भी कमाने वाला बचा नहीं है। नागौर के शीलगांव का यह परिवार ऐसा है जिसे कोई सरकारी सहायता नहीं मिली है। बल्कि सहायता के नाम पर केवल दो जनों की पेंशन आती है जो मिलाकर केवल 1500 रुपये है।
शीलगांव के निवासी बंशीलाल का परिवार एक बेहद ही गरीबीभरी जिंदगी जी रहा है। जहां सरकार एक तरफ तरह-तरह की योजना निकाल रही है और गरीबी कम होने का दावा कर रही है। धरातल पर वास्तविक स्थिति कुछ ओर ही है। बंशीलाल को आज तक खाद्य विभाग की योजना का लाभ नहीं मिला है। जहां सरकार मुफ्त में राशन बांटने का दावा कर रही है, लेकिन बंशीलाल का परिवार इस योजना से अछूता रहा है। बंशीलाल ने बताया कई बार राशन कार्ड में नाम जुड़वाया और कई बार फॉर्म भरे लेकिन आज तक किसी तरह का लाभ नहीं मिला है।
बंशीलाल को आंखों से दिखाई नहीं देता है। एक बेटा विकंलाग है जिसे किसी तरीके की पेंशन व सरकारी सहायता नहीं मिली है। वहीं परिवार में कुल 7 सदस्य है जो केवल इन 1500 रुपये से जीवन गुजारा कर रहे है। इन लोगों तक किसी तरीके की सरकारी सहायता अभी तक नहीं पहुंची है। बंशीलाल के पास खेती करने के लिए जमीन भी नहीं है।