बंदरों या आवारा मवेशियों के चरने से फसलों की कटाई में किया गया महीनों का श्रम बेकार हो सकता है। जहां देश भर में किसान बिजूका का उपयोग करते हैं और अपनी फसलों की नियमित निगरानी करते हैं, वहीं उत्तर प्रदेश में कई किसान अब बंदरों को अपनी गन्ने की फसल को नुकसान पहुंचाने से रोकने के लिए भालू की पोशाक पहन रहे हैं। किसान ऐसा शख्स होता है जो कभी-कभी खुद भूखा रह कर दूसरों के खाने के लिए फसल उगाता है।
भारतीय किसानों को कई प्रकार के दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। पैसे की कमी, खाद की दिक्कत और बहूत कुछ फिर भी किसान जैसे-तैसे अपने फसल को खेत में उगा लेता है, तो जानवर उसको नहीं छोड़ते है। हार साल कई किसान इस समस्या से गुजरते है पर इसका कोई निवारण नहीं होता है। अब हाल ही में उत्तर प्रदेश के किसान भी इसी दिक्कत से सामना कर रहे है।
इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए किसानों ने कुछ ऐसा तरीका अपनाया जो सभी को काफी अनोखा लग रहा है। एएनआई से बात करते हुए किसान गजेंद्र सिंह ने कहा, ’40-45 बंदर इलाके में घूम रहे हैं और फसलों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। हमने अधिकारियों से गुहार लगाई लेकिन कोई ध्यान नहीं दिया गया. इसलिए, हमने (किसानों ने) पैसे का योगदान दिया और अपनी फसलों की सुरक्षा के लिए इस पोशाक को 4,000 रुपये में खरीदा।
रविवार को, एएनआई ने भालू की पोशाक पहने और खेत के बीच बैठे एक किसान की तस्वीरें शेयर कीं। एक ट्विटर यूजर ने इन तस्वीरों पर कमेंट करते हुए लिखा, ”भारत में एक किसान के जीवन का बस एक और दिन यदि कीमतें आपको नहीं मिलतीं, तो मौसम आपको मिल जाएगा। अगर मौसम ने मदद नहीं की तो आवारा मवेशी आपकी मदद करेंगे। अगर आवारा मवेशी आपको नहीं पकड़ेंगे, तो बंदर पकड़ लेंगे…”
Uttar Pradesh | Farmers in Lakhimpur Kheri’s Jahan Nagar village use a bear costume to prevent monkeys from damaging their sugarcane crop
40-45 monkeys are roaming in the area and damaging the crops. We appealed to authorities but no attention was paid. So we (farmers)… pic.twitter.com/IBlsvECB2A
— ANI UP/Uttarakhand (@ANINewsUP) June 25, 2023
यह एकमात्र उदाहरण नहीं है जिसमें किसानों ने अपनी फसलों की रक्षा के लिए ‘जीवित बिजूका’ के रूप में कार्य करने का निर्णय लिया है। पिछले साल मार्च में, तेलंगाना के एक किसान भास्कर रेड्डी ने अपनी उपज की रक्षा के लिए सुस्त भालू की पोशाक पहनी थी, जिसके बाद वह सुर्खियों में आ गए थे। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक, रेड्डी ने जंगली सूअर और बंदरों के खतरे से निपटने के लिए यह अनोखा तरीका अपनाया जो उनकी फसलों को नुकसान पहुंचाते रहते हैं।
प्रारंभ में, रेड्डी और उनका बेटा बारी-बारी से पोशाक पहनकर खेतों में जाते थे। हालांकि, रेड्डी ने एएनआई को बताया कि वह अब उनके लिए काम करने के लिए किसी को भुगतान कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “मैंने पोशाक पहनने और जानवरों को दूर रखने के लिए मैदान में घूमने के लिए 500 रुपये प्रतिदिन पर एक व्यक्ति को काम पर रखा है।”