पैसा कमाना आज के समय में कितना ज़रूरी हैं ये बात हर कोई जनता हैं लेकिन इसके लिए मेहनत ज़रूरी हैं जुर्म नहीं लेकिन आज के समय में लोग पैसे के इस कदर लालची होते जा रहे हैं कि वह हर सीमा लांघने के लिए तैयार हैं। बस सारा मतलब हैं कि किसी तरह से पैसा आ जाये। और हद तो वहां होती हैं जब इंसान की लालसा उसे एक जानवर बना डालती हैं।
फिर वो सही-गलत के बीच फैसला नहीं कर पाता। अक्सर इंसान इतना नीचे गिर जाता है कि उसके बाद वो सिर्फ अपने फायदे के बारे में सोचता है, दूसरों की भावनाओं की उसे कद्र ही नहीं रहती। इन दिनों अमेरिका का एक व्यक्ति (human parts sold on facebook) अपने बुरे कर्मों की वजह से चर्चा में है जिसके लालच ने उससे ऐसा काम करवा दिया कि अब उसे जेल की हवा खानी पड़ रही है।
डेली स्टार न्यूज वेबसाइट की रिपोर्ट के अनुसार हार्वर्ड जैसे फेमस मेडिकल स्कूल (Harvard Medical School) से दिल दहला देने वाली खबर सामने आई है। मेडिकल स्कूल के मुर्दा घर का मैनेजर पुलिस द्वारा गिरफ्तार कर लिया गया है क्योंकि वो लाशों के साथ भी व्यापार कर रहा था। 55 साल का सेड्रिक लॉज (Cedric Lodge) हार्वर्ड एनाटॉमिकल गिफ्ट प्रोग्राम के तहत बनाए गए मुर्दा घर का काफी वक्त से मैनेजर था। उसपर आरोप है कि विज्ञान की शोध क लिए कॉलेज में दान की गई इंसानीं लाशों और शरीर को वो पैसों के लिए बेच देता था।
सिर्फ एक नहीं कई लोगो ने की थी ये साजिश
पर सबसे ज्यादा हैरानी की बात ये है कि वो इन अंगों को सोशल मीडिया साइट फेसबुक पर बेचा करता था। सेड्रिक, सिर, दिमाग, चमड़ी और हड्डी जैस अंगों को अपने शहर, गॉफस्टाउन, न्यू हैमशायर (Goffstown, New Hampshire) ले जाया करता था और फिर वहां से उन्हें फेसबुक पर बेचता था। इस जुर्म में लॉज अकेला नहीं था। कोर्ट में सेड्रिक के अलावा उसकी 63 साल की पत्नी डेनिस, सालेम की रहने वाली 44 साल की एक महिला कट्रीना मैकलीन, 46 वर्षीय वेस्ट लॉन का जोशुआ टेलर और ईस्ट बेथल का 52 वर्षीय मैथ्यू लैंपी का भी नाम अपराधियों की लिस्ट में शामिल किया गया है।
चल रहा था पूरा रैकेट
ये सारे लोग मिलकर रैकेट चला रहे थे. इनमें से सेड्रिक अंगों को चुराता था, फिर दूसरा साथी उसे तीसरे तक पहुंचाता था। रिपोर्ट में दावा किया गया है कि इन लोगों ने इंसानी चमड़ी से बैग बनाए, सिर का प्रयोग किया और फिर उसे फेसबुक के जरिए बेचा। वो लोग इस तरह ब्लैक मार्केट में इंसानी शरीर से बने सामान बेचा करते थे। ये रैकेट 2018 से 2022 तक चलता रहा। इस दौरान उन्होंने 80 लाख रुपये से ज्यादा का लेन देन किया।