जीवन बिना पानी के जीना बिल्कुल ही मुश्किल है। लेकिन प्रदूषण ने पानी को जहरीला बना दिया है। प्रदूषित पानी की वजह से मछलियां मरती जा रही हैं। नदियों, तालाबों, झीलों और समुद्र तक प्लास्टिक पहुंच गया है। इसी बीच दुनिया में कई ऐसे लोग भी हैं जो पानी में से इस कचरे को निकाल कर उसे पीने लायक बना रहे हैं।
दरअसल वह लोग पर्यावरण को साफ कर रहे हैं। चेन्नई के अरुण कृष्णमूर्ति हैं जो लोगों के लिए नेक काम कर रहे हैं। कृष्णमूर्ति गूगल में नौकरी करते थे जिसे उन्होंने छोड़ दिया है और अब तालाब साफ करने में लग गए हैं। वह तालाबों को साफ करके इंसानों और पशु-पक्षियों के लिए पानी साफ कर रहे हैं ताकि वह साफ पानी पी सकें।
93 झीलें साफ कर चुके हैं
पर्यावरण को सही करने के लिए कृष्णमूर्ति ने यह अभियान शुरु किया है। कृष्णमूर्ति ने इस अभियान के तहत 14 राज्यों के 93 झीलें साफ कर चुके हैं। इंवर्मेंटलिस्ट फाउंडेशन ऑफ इंडिया इस अभियान की अगुवाई करती है। यह एक गैर-लाभकारी संगठन है।
कृष्णमूर्ति आखिर क्या करना चाहते हैं?
कृष्णमूर्तिका का लगाव तालाबों और झीलों से बचपन से है। इन्हीं के आस-पास कृष्णमूर्ति का बचपन गुजरा है। इसी वजह से अपनी नौकरी कृष्णमूर्ति ने पर्यावरण के लिए छोड़ दी। खबरों की मानें तो झीलों, तलाबों और नदियों में इकोलॉजिकल बैलेंस करना उनका मकसद है।
पहली कोशिश चेन्नई में ही की थी
चेन्नई से ही कृष्णमूर्ति ने पहली कोशिश तालाबों, झीलों और नदियों को साफ करने की थी। स्थानीय पंचायत की उन्हें वहां पर मदद मिल गई थी। उसके बाद हौसला उनका बढ़ा और उन्होंने पूरे देश में इस अभियान को फैलाने का काम शुरु किया।
इसमें मदद करती है सरकार
उन्होंने बताया कि, हम केंद्र और राज्य सरकार के साथ मिलकर काम करते हैं। हम किसी तरह की फंडिंग नहीं लेते। हम पूरी तरह से सरकार की मंजूरी और सहमती पर निर्भर करते हैं। पूरे देश में झील और तलाब को साफ करने वाले समुदायों की प्रशासन इसी तरह से प्रोत्साहित कर रही है।
अवॉर्ड मिल चुका है साल 2012 में
साल 2012 में द रोलेक्स अवॉर्ड फॉर एंटरप्राइज से भी कृष्णमूर्ति को उनके इस काम के लिए नवाजा जा चुका है। उन्होंने कहा है कि भारतीय जलवायु बहुत आकर्षक है, लोगों को इसके इतिहास को समझना चाहिए।