करवा चौथ की पूजा इन 7 चीजों के बिना है अधूरी - Punjab Kesari
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करवा चौथ की पूजा इन 7 चीजों के बिना है अधूरी

इस बार 17 अक्टूबर को पडऩे वाले करवाचौथ के त्योहार में पूजापाठ का खास महत्व होता है। महिलाएं

इस बार 17 अक्टूबर को पडऩे वाले करवाचौथ के त्योहार में पूजापाठ का खास महत्व होता है। महिलाएं पूरे दिन भर निर्जला व्रत रखकर शाम को समूह में पूजा करती हैं। वैसे तो करवाचौथ की पूजा अकेले नहीं की जाती है लेकिन कई बार ऐसा होता है कि महिलाएं अपने परिवार से दूर रहती है तो उन्हें अकेले ही पूजा करनी होती। ऐसे में पूजा के वक्त पति-पत्नी दोनों साथ हो तो शुभ माना जाता है साथ ही दोनों के रिश्ते में मजबूती आती है। आज हम आपको बताने जा रहे हैं करवाचौथ की पूजा में उन 7 चीजों के बारे में जिनका पूजा में सबसे ज्यादा महत्व होता है। 
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करवा की शक्ति का प्रतीक सींक मां
करवाचौथ के  व्रत की पूजा में कथा सुनते समय  सींक जरूर रखें। पूजा का सींक का होना मां करवा की उस शक्ति का प्रतीक है जिसके बल पर उन्होंने यमराज के सहयोगी भगवान चित्रगुप्त के खाते के पन्नों को उड़ा दिया था। 
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करवा का महत्‍व
माता का नाम करवा था। साथ ही यह करवा उस नदी का प्रतीक है जिसमें मां करवा के पति का पैर मगरमच्छ ने पकड़ लिया था। वैसे आजकल तो बाजार में पूजा के लिए आपको एक से बढ़कर एक खूबसूरत करवे मिल जाते हैं। 
करवा माता की फोटो
करवा माता की तस्वीर बाकि देवियों की तुलना में बिल्कुल अगल है। इनकी इस फोटो में भारतीय पुरातन संस्कृति और जीवन की झलक मिलती है। चंद्रमा और सूरज की उपस्थिति उनके महत्व का वर्णन करती है। 
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नहीं होती दीपक के बिना पूजा
हिंदू धर्म में कोई भी पूजा बिना दीपक के अधूरी मानी जाती है। इसलिए करवाचौथ के व्रत की पूजा करते समय दीपक होना जरूरी होता है क्योंकि यह हमारे ध्यान को केंद्रित कर एकाग्रता बढ़ाता है। इस पूजा में दीपक की लौ,जीवन ज्योति का प्रतीक होती है।
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पति को देखने के लिए है छलनी
व्रत की पूजा के बाद महिलाएं छलनी से अपने पति का चेहरा देखती हैं। इसकी वजह करवा चौथ में सुनाई जानेवाली वीरवती की कथा से जुड़ा हुआ है। जैसे अपनी बहन के प्रेम में वीरवती के भाईयों ने छलनी से चांद का प्रतिविंब बनाया था और उसके पति के जीवन पर मुसीबतें आ गई वैसे कभी कोई हमें छल न सके। 
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यह है लोटे का अर्थ
चंद्रदेव को अध्र्य देने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी होता है लोटा। पूजा के दौरान लोटे से जल भरकर रखा जाता है। फिर यही जल चंद्रमा को हमारे भाव समर्पित करने का एक माध्यम है। वैसे तो हर पूजा में कलश को गणेशजी के रूप में स्थापति किया जाता है।
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शुभ है थाली
पूजा की सामग्री,दीए,फल और जल से भरा लोटा रखने के लिए एक थाली जरूरी है। इसी में दीपक रखकर मां करवा की आरती उतारते हैं। इसी के साथ मां करवा से सच्चे मन से आशीर्वाद मांगे। 
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