London में बंद होगा ऐतिहासिक India Club, 70 साल से रहा राष्ट्रवादियों का विदेशी गढ़, देखें Shashi Tharoor की भावुक पोस्ट - Punjab Kesari
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London में बंद होगा ऐतिहासिक India Club, 70 साल से रहा राष्ट्रवादियों का विदेशी गढ़, देखें Shashi Tharoor की भावुक पोस्ट

यूके के शुरुआती भारतीय रेस्तरां में से एक यह इंडिया क्लब आवास के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता और विभाजन

भारत के लोगों ने आजादी के लिए सालों-साल तक खूब लड़ाई की थी। तब जाकर भारत अंग्रेजी शासन से आजाद हुआ था। अब भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन में विदेशी गढ़ लंदन का एक मात्र राष्ट्रवादियों के केंद्र के रूप में लंदन का इंडिया क्लब बंद होने जा रहा है। एक लंबी लड़ाई हारने के बाद अगले महीने बंद हो जाएगा। इसकी जानकारी बीते दिनों सामने आई है। इसके साथ है इस जगह का भोजनायल भी बंद हो जायेगा। इसकी जानकारी कांग्रेस नेता शशी थरूर ने भी दी थी। 
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इस जगह के लिए प्रोपराइटर मार्कर और उनकी बेटी फ़िरोज़ा ने काफी लम्बी लड़ाई लड़ी लेकिन अब इसके बंद होने की घोषणा की गई है। मार्कर और उनकी बेटी फ़िरोज़ा ने ही “सेव इंडिया क्लब” अपील शुरू की थी, जो सफल रहा था। इसके साथ ही उन्होंने ने कहा “बहुत भारी मन से हम इंडिया क्लब को बंद करने की घोषणा करते हैं, जिसका आखिरी दिन 17 सितंबर को जनता के लिए खुला रहेगा”। इस जगहों के लेकर कई सारे लोगों में याद और अपने-अपने विचार हैं।
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 यूके के शुरुआती भारतीय रेस्तरां में से एक यह इंडिया क्लब आवास के साथ-साथ भारतीय स्वतंत्रता और विभाजन के बाद तेजी से बढ़ते ब्रिटिश दक्षिण एशियाई समुदाय के केंद्र में बदल गया। इंडिया क्लब लंदन के स्ट्रैंड के मध्य में स्थित हैं। इमारत को कुछ साल मकान मालिकों ने एक नोटिश दे दिया गया था, जिसमें एक होटल के लिए रास्ते बनाने की बात कहीं गई थी। आपको बता दें क्लब 1946 से भारतीय उच्चायोग के पास स्ट्रैंड पर एक भारतीय रेस्तरां के रूप में कार्य कर रहा है, 26 कमरों वाले स्ट्रैंड कॉन्टिनेंटल होटल की पहली मंजिल पर है। 
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कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद शशि थरूर ने अपने पिता पत्रकार चंद्रन थरूर के ऐतिहासिक स्थल से संबंध को देखते हुए सोशल मीडिया पर इसे बंद करने की घोषणा पर दुख जताया। उन्होंने लिखा “मुझे यह सुनकर दुख हुआ कि इंडिया क्लब, लंदन सितंबर में स्थायी रूप से बंद हो जाएगा। इसके संस्थापकों में से एक के बेटे के रूप में, मैं उस संस्था के निधन पर शोक व्यक्त करता हूं जिसने लगभग तीन-चौथाई शताब्दी तक इतने सारे भारतीयों की सेवा की। 

कई छात्रों, पत्रकारों और यात्रियों के लिए, यह घर से दूर एक घर था, जहां सस्ती कीमतों पर सरल और अच्छी गुणवत्ता वाला भारतीय भोजन और साथ ही मिलने और दोस्ती बनाए रखने के लिए एक सौहार्दपूर्ण माहौल मिलता था।  जैसा कि चित्र से पता चलता है, मैं इस गर्मी में अपनी बहन के साथ वहां था (हम 1950 के दशक की शुरुआत में क्लब कार्यक्रमों में भाग लेने वाले अपने पिता की तस्वीरों के सामने खड़े हैं) और मुझे यह जानकर दुख हुआ कि वह मेरी आखिरी यात्रा थी, क्योंकि मैं वापस नहीं लौटूंगा। इस साल लंदन के लिए. शांति!

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